Hindi Newsविदेश न्यूज़Neither appeal nor argument Why silent on Nawaz Sharif return to Pakistan Know political compulsion and meaning - International news in Hindi

ना अपील, ना दलील: नवाज शरीफ की वतन वापसी पर पाकिस्तान में चुप्पी क्यों, ऐसी क्या है सियासी मजबूरी?

Pakistan Political Situation: अब, नवाज़ शरीफ़ की वापसी पर उनके लिए वही लोग मंच सजा रहे हैं जिन्होंने उनकी गैर मौजूदगी में राजनीतिक विकल्प देने की कोशिश की थी। बेशक,ऐसा करने का तात्कालिक कारण रहा होगा।

ना अपील, ना दलील: नवाज शरीफ की वतन वापसी पर पाकिस्तान में चुप्पी क्यों, ऐसी क्या है सियासी मजबूरी?
Pramod Praveen प्रमोद प्रवीण, लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 26 Oct 2023 12:10 PM
हमें फॉलो करें

Pakistan Political Situation:  पाकिस्तान में तीन बार के प्रधानमंत्री रहे और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के चीफ नवाज शरीफ आखिरकार चार साल का आत्म-निर्वासन खत्म कर 21 अक्टूबर को वतन वापस लौट आए। कई महीनों से पाकिस्तान में उनकी वतन वापसी की अटकलें लगाई जा रही थीं। अटकलें ये भी थीं कि अगर वो पाकिस्तान आते हैं तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा और जेल भेज दिया जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।  ना तो न्यायपालिका के किसी नुमाइंदे ने और ना ही कार्यपालिका यानी प्रशासन की तरफ से उनकी गिरफ्तारी की बात की और ना ही किसी ने उनके खिलाफ लंबित मुकदमों पर अदालतों में अपील की।

दरअसल, उनके बारे में सियासी गलियारों में चल रही अटकलें कई चीजों पर निर्भर थीं। पहली तो इसके पीछे पाकिस्तान की राजनीतिक परिस्थितियाँ जिम्मेदार हैं, जिसमें यह तय नहीं हो पा रहा था कि वहां चुनाव होंगे या नहीं, या सेना द्वारा ही लंबे समय तक कार्यवाहक व्यवस्था चलाई जाएगी? दूसरा, अगर नवाज वापस लौटते हैं तो उन्हें किस तरह की न्यायिक व्यवस्था का सामना करना पड़ेगा? वह अपनी वापसी का समय चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल के रिटायरमेंट के बाद तय करना चाहते थे। 

नए चीफ जस्टिस का हाथ शरीफ के साथ?
माना जाता है कि बंदियाल का इमरान खान के पक्ष में झुकाव रहा है लेकिन नए चीफ जस्टिस फ़ैज़ ईसा को नवाज़ शरीफ के लिए सुरक्षित माना गया है। ईसा को इमरान खान या सेना के पिछलग्गू के रूप में नहीं देखा जाता है। तीसरा कारक यह था कि उन्हें वतन वापसी के बाद कौन-सी शर्तें माननी पड़ेंगी? यह स्पष्ट नहीं था। यह नवाज की व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वतंत्रता की गारंटी के साथ-साथ उनके राजनीतिक खेल और सियासी पिच के लिए काफी महत्वपूर्ण था।

नई राजनीतिक इंजीनियरिंग
जियो न्यूज को लिखे एक आलेख में पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने कहा है कि नवाज की वापसी पर पूरे पाकिस्तान की चुप्पी एक तरह से इस बात का भी इशारा और स्वीकारोक्ति के समान है कि 2017 में उन्हें पद से हटाया जाना एक सियासी साजिश और बड़ी कानूनी गलती थी। हक्कानी के मुताबिक, निर्वासन से शरीफ की वापसी पाकिस्तान की जटिल समस्याओं को हल करने के साधन के रूप में एक राजनीतिक इंजीनियरिंग के रूप में लिया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले छह वर्षों के दौरान नवाज शरीफ और उनके परिवार को काफी पीड़ा से गुजरना पड़ा है, साथ ही देश को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। अब, नवाज़ शरीफ़ की वापसी पर उनके लिए वही लोग मंच सजा रहे हैं जिन्होंने उनकी गैर मौजूदगी में राजनीतिक विकल्प देने की कोशिश की थी। बेशक, ऐसा करने का तात्कालिक कारण दूसरे नेताओं को किनारे करना रहा होगा लेकिन पिछले 35 वर्षों की राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक लोकप्रिय नेता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस लिहाज से नवाज शरीफ आज पाकिस्तान की एक सियासी मजबूरी बनते दिख रहे हैं।

बेनजीर भुट्टो को हटाकर बने थे प्रधानमंत्री
1990 में नवाज शरीफ को पीएम पद पर बैठाने के लिए बेनजीर भुट्टो को सत्ता से हटा दिया गया था, लेकिन 1993 में बेनजीर भुट्टो ने फिर सत्ता कब्जा ली थी। 1996 में फिर बेनजीर भुट्टो के हटने के बाद 1997 में नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने लेकिन जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में सैन्य तख्तापलट कर शरीफ को पद से हटा दिया।  करीब एक दशक से ज्यादा समय तक दोनों नेता बारी-बारी से पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करते रहे। इस आधार पर दोनों नेताओं के बीच एक गहरी समझ बन पड़ी थी। दोनों ने 2006 में चार्टर ऑफ डेमोक्रेसी पर दस्तखत किए थे। 2007 तक मुशर्रफ को बेनजीर भुट्टो के साथ सुलह तक करनी पड़ गई थी।

भ्रष्टाचार के आरोप में गंवाई कुर्सी, गए जेल
2007 में बेनजीर भुट्टो की चुनाव प्रचार के दौरान हत्या कर दी गई। इसके बाद 2008 के चुनावों में उनकी पार्टी को जीत मिली। 2013 में नवाज शरीफ फिर से चुनकर आए और प्रधानमंत्री बने लेकिन 2017 में भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। उन्हें जेल जाना पड़ा फिर 2019 में वो लंदन में जाकर निर्वासित जीवन बिताने लगे। अब जब उनके धुर विरोधी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में बंद हैं तो उनकी वापसी से उनके समर्थकों में नया उत्साह पैदा हो गया है। अब पाकिस्तान में यह उम्मीद भी जग चुकी है कि जुलाई 2023 में होने वाले चुनाव 2024 के शुरुआत में हो सकेंगे। 

तकनीकि तौर पर शरीफ नहीं नवाज
वैसे कानूनी और तकनीकी तौर पर नवाज शरीफ पाकिस्तानी कानून की नजर में भगोड़े हैं, फिर भी, उन्हें प्रतीक्षारत प्रधान मंत्री का प्रोटोकॉल प्राप्त हुआ है। यह संभवत: पाकिस्तानी सेना द्वारा उनकी वापसी की अनुमति देने की वजह से ही संभव हो सका है। पाक सेना के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। सेना ने उनके लिए सभी दरवाजे खोल दिए हैं। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट, जिसने 2017 में उनका न्यायिक तख्तापलट कर सत्ता से बेदखल कर दिया था, भी शरीफ की वापसी को समायोजित करने के लिए तैयार हो गई हैं। इसी वजह से शरीफ के पाकिस्तान लौटने पर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।

पाक सेना की मौन सहमति, चौथी बार बैटिंग
एक तरह से देखें तो नवाज शरीफ की वतन वापसी न केवल पाकिस्तान की राजनीति के लिए एक नया चैप्टर है बल्कि 2017 के बाद  पाकिस्तान की राजनीति में उनकी पुनर्वापसी का भी प्रतीक है। साथ ही पाक सेना की भी पसंद हैं। वह 1980 के दशक में पाकिस्तानी सेना के पसंदीदा बच्चे हुआ करते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सेना के पूर्ण समर्थन से की थी, जब बेनजीर भुट्टो के खिलाफ सेना ने उन्हें अपने आदमी के रूप में आगे बढ़ाया था। तब 1990 में शरीफ पहली बार प्रधानमंत्री बने थे लेकिन इस बार शायद वह चौथी और आखिरी बार प्रधान मंत्री बनने के लिए कदमताल कर रहे हैं, जिसमें सेना का छुपा सहयोग भी शामिल है। 

लेटेस्ट   Hindi News,   बॉलीवुड न्यूज,  बिजनेस न्यूज,  टेक ,  ऑटो,  करियर ,और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें