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ईरान परमाणु वार्ता में अमेरिका को वापस लाने के लिए बातचीत आगे बढ़ी, दूर हो सकती है अड़चनें

ऑस्ट्रिया में दुनिया के शक्तिशाली देशों ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में अमेरिका को वापस लाने के लिए उच्चस्तरीय वार्ता की, जहां दोनों पक्षों ने वार्ता की राह की प्रमुख अड़चनों को दूर करने की...

ईरान परमाणु वार्ता में अमेरिका को वापस लाने के लिए बातचीत आगे बढ़ी, दूर हो सकती है अड़चनें
एजेंसी,वियनाFri, 07 May 2021 07:34 PM
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ऑस्ट्रिया में दुनिया के शक्तिशाली देशों ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में अमेरिका को वापस लाने के लिए उच्चस्तरीय वार्ता की, जहां दोनों पक्षों ने वार्ता की राह की प्रमुख अड़चनों को दूर करने की इच्छा जताई। बातचीत अप्रैल में शुरू हुई थी और रूसी प्रतिनिधिमंडल में शामिल मिखाइल उल्यानोव ने शुक्रवार की बैठक के बाद ट्वीट किया, प्रतिनिधियों ने प्रक्रिया को तेज करने पर सहमति जताई। उन्होंने लिखा, प्रतिनिधिमंडल लक्ष्य हासिल करने तक वियना में रूकने के लिए तैयार दिख रहा है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2015 में हुए इस समझौते से 2018 में हट गए थे और कहा था कि फिर से समझौता किए जाने की जरूरत है। समझौते में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पाबंदियों के बदले उसे आर्थिक सहूलियत देने का वादा किया गया था और तेहरान पर नई वार्ता के लिए दबाव बनाने के असफल प्रयास के तहत ट्रंप प्रशासन ने उस पर भारी प्रतिबंध लगा दिए थे।

प्रतिक्रिया स्वरूप ईरान ने समझौते का उल्लंघन करना शुरू कर दिया, जिसका उद्देश्य देश को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना था। इसके बाद ईरान ने यूरेनियम संवर्द्धन शुरू कर दिया तथा उन्नत सेंट्रीफ्यूज का प्रयोग एवं अनुमति से अधिक भंडारण शुरू कर दिया ताकि वह विश्व की शक्तियों पर आर्थिक राहत की खातिर समझौते में बने रहने का दबाव बना सके। इन विश्व शक्तियों में जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन शामिल हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि वह समझौते से फिर जुड़ना चाहते हैं, जिसे 'ज्वाइंट कांप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन या जेसीपीओए के नाम से जाना जाता है। साथ ही बाइडन ने कहा था कि ईरान को समझौते का अनुपालन करना होगा। ईरान ने कहा कि वह परमाणु बम नहीं बनाना चाहता है और समझौते में किए उल्लंघनों को फिर से दुरूस्त कर सकता है लेकिन वॉशिंगटन को ट्रंप शासन के दौरान लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटाना होगा।

चूंकि वर्तमान में अमेरिका समझौते से बाहर है इसलिए वार्ता में अमेरिका का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इसमें शामिल प्रतिनिधि ईरानी पक्ष और वियना में कहीं और ठहरे वॉशिंगटन के प्रतिनिधिमंडल के बीच भाग-दौड़ कर रहे हैं। बातचीत शुरू होने से पहले अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर संकेत दिए हैं कि ईरान को अमेरिका से किसी तरह की नयी एवं बड़ी रियायतों की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी ने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि अमेरिका ने वर्ष 2015 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते में फिर से शामिल होने के लिए तैयार की गई रियायतों की सूची सामने रख दी है।
    

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