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नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के होंगे गहरे परिणाम! अर्थव्यवस्था को हो सकता है जोखिम

ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दुनिया के सभी चिप का लगभग आधा हिस्सा बनाती है। ताइवान की कंपनी कॉरपोरेशन कैमरों, प्रिंटरों, वाहनों और स्मार्ट उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले चिपों को बनाती है।

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के होंगे गहरे परिणाम! अर्थव्यवस्था को हो सकता है जोखिम
Nisarg Dixitदिलाशा सेठ, हिंदुस्तान,ताइपेTue, 09 Aug 2022 07:56 AM

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अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन, ताइवान-अमेरिका के बीच टकराव से वैश्विक अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंच सकती है। फिलहाल, चीन और ताइवान के बीच सैन्य स्तर पर प्रतिक्रियाएं जारी हैं। ड्रैगन ने द्वीप के आसपास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था। वहीं अब ताइवान ने भी मिलिट्री ड्रिल्स के जरिए प्रतिक्रया दी है।

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के नतीजे
नैंसी की यात्रा से गुस्साए चीन ने सैन्य अभ्यास के दौरान समुद्र में मिसाइलें दागीं और ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की है। वहीं, ताइवान ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कड़ी कार्रवाई की बात कही। नाराज चीन ने पहले ही ताइवान से आने वाले फल, मछलियां और दूसरे खाद्य के आयात पर बैन लगा दिया था। इसके बाद आयात किए जाने वाले 100 से अधिक फूड प्रोडक्ट पर रोक लगा दी। ताइवान ने इसका बदला लिया। उसने बड़े स्तर पर चीन से आयात होने वाले कंस्ट्रक्शन से जुड़े मैटेरियल के आयात पर पाबंदी लगा दी है।

भारत उठा सकता है लाभ
भारत ने चीन और अमेरिका के बीच संबंधों पर फिलहाल कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, भारत इस स्थिती का लाभ उठाते हुए बीजिंग को पीछे छोड़ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी जगह बना सकता है। ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं और भारत से संबंध स्थापित कर रहे हैं। भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए त्रिपक्षीय सप्लाई चेन रेजिलिएशन इनिशिएटिव के शुभारंभ के लिए विचार-विमर्श शुरू किया था। लद्दाख में चीन के साथ तनाव के बीच भारत ने इस प्रस्ताव को काफी गंभीरता से लिया है।

ये सेक्टर होंगे प्रभावित
यह तनाव दुनिया के टेक मार्केट के लिए खतरा हो सकते हैं क्योंकि तकनीक और सेमीकंडक्टर बाजार में ताइवान का बड़ा योगदान है। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दुनिया के सभी चिप का लगभग आधा हिस्सा बनाती है। ताइवान की कंपनी कॉरपोरेशन कैमरों, प्रिंटरों, वाहनों और स्मार्ट उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले चिपों को बनाती है। वहीं, भारत अपने स्वदेशी उद्योग के लिए चिप आयात पर निर्भर है, लेकिन चिप के लिए 76,000 करोड़ की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को शुरू होने में समय लगेगा।

आर्थिक परिणाम
दुनियाभर के देश पहले से ही रूस यूक्रेन युद्ध और महामारी से उबर रहे हैं। अब अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने से एक और झटका लग सकता है। अगर यह तनाव युद्ध में बदल गया तो आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है साथ ही महंगाई बढ़ जाएगी।

भारत पर भी असर
तनाव का असर भारत पर दिखा। बुधवार-गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ। गुरुवार को ग्रीनबैक के मुकाबले रुपया 79.5 पर कमजोर होने के बाद शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया मामूली रूप से 79.23 पर पहुंच गया।

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