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चीन के बढ़ते दखल को लेकर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत-यूएस बढ़ाएंगे सैन्य सहयोग

भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा व मुक्त नेविगेशन के लिए अमेरिका भारत सहित ‘क्वाड’ में शामिल देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए बड़ी कवायद कर रहा है। भारत, आस्ट्रेलिया व जापान...

चीन के बढ़ते दखल को लेकर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत-यूएस बढ़ाएंगे सैन्य सहयोग
पंकज कुमार पाण्डेय,नई दिल्लीThu, 26 Jul 2018 08:01 AM
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भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा व मुक्त नेविगेशन के लिए अमेरिका भारत सहित ‘क्वाड’ में शामिल देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए बड़ी कवायद कर रहा है। भारत, आस्ट्रेलिया व जापान के साथ हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद पर रोकथाम, विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे और स्वतंत्र व मुक्त नियम आधारित व्यवस्था के लिए साझा तंत्र बनाने की दिशा में अमेरिका गंभीरता से काम कर रहा है।

अमेरिका ने चतुष्कोणीय सहयोग (क्वाड) को नेशनल डिफेंस अथराइजेशन एक्ट के दायरे में लाने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया है। अमेरिका की मंशा है कि इस क्षेत्र में साझा क्षेत्रीय आधारभूत ढांचा तैयार हो। चारों देश मिलकर इस क्षेत्र में सैन्य सहयोग, साझा अभ्यास, क्षमता निर्माण के लिए काम करेंगे। इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को देखते हुए अमेरिका के प्रस्ताव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

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वर्चस्व की होड़
अभी तक यह माना जा रहा था कि क्वाड केवल असैन्य गतिविधियों, कूटनीतिक पहल व दबाव के लिए काम करेगा। लेकिन अमेरिका का प्रस्ताव क्षेत्र में बर्चस्व की होड़ में प्रभावी कदम साबित हो सकता है। क्वाड में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया व जापान शामिल हैं। अन्य देशों से भी सहयोग बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। हालांकि भारत ने कई बार स्पष्ट किया है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग चीन के खिलाफ नहीं है। समुद्री सुरक्षा और नियम आधारित व्यवस्था के लिए भारत वकालत करता रहा है। आसियान देशों से भी भारत का सहयोग इसी सोच पर आधारित है।

चीन को संदेश
रायसीना डॉयलाग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ मिलकर काम करने की मंशा जाहिर की थी। इसका चीन ने स्वागत भी किया था। लेकिन कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल चतुष्कोणीय सहयोग चीन को संदेश है। अमेरिका का प्रस्ताव चीन की चिंताओं को और बढ़ा सकता है। 

जानकार बड़ा रणनीतिक कदम मान रहे हैं 

जानकार मानते हैं कि भारत का अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग भले ही सीधे चीन पर केंद्रित नहीं हो, लेकिन इस क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाने की कोशिश निश्चित रूप से बड़ा रणनीतिक कदम साबित हो सकता है। भारत में  कूटनीतिक हलकों में यह राय उभरकर आई है कि सेना से ज्यादा नौसेना का साझा प्लेटफार्म पर विस्तार करने की जरूरत है।

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शक्ति संतुलन साध रहा भारत
सूत्रों ने कहा कि दुनिया में जिस तरह के बदलाव हो रहे हैं उसे देखते हुए भारत एशिया में एक शक्तिशाली केंद्र के रूप में उभर रहा है। चीन भारत के प्रभुत्व वाले इलाकों में अपना बर्चस्व बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। वहीं भारत भी सहयोगी देशों के साथ शक्ति सुतंलन में जुटा है। क्वॉड को इसके लिए बड़ा मंच माना जा रहा है।

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