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सबसे हल्की वस्तु से मंगल ग्रह रहने लायक बनेगा

मंगल ग्रह को इंसानों के रहने लायक बनाने का सपना वैज्ञानिक लंबे समय से संजोये हुए हैं। लाल ग्रह की प्रतिकूल परिस्थितियों, माइनस 125 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान, ग्रीनहाउस गैसों की कमी और नगण्य...

सबसे हल्की वस्तु से मंगल ग्रह रहने लायक बनेगा
एजेंसी,नई दिल्लीMon, 22 Jul 2019 06:32 PM
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मंगल ग्रह को इंसानों के रहने लायक बनाने का सपना वैज्ञानिक लंबे समय से संजोये हुए हैं। लाल ग्रह की प्रतिकूल परिस्थितियों, माइनस 125 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान, ग्रीनहाउस गैसों की कमी और नगण्य वायुमण्डलीय दबाव के कारण यह सपना अब तक अधूरा है। लेकिन अब मंगल को बसने के लायक बनाने का तरीका वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। 

वैज्ञानिक का कहना है कि पृथ्वी की सबसे हल्की वस्तु ‘सिलिका एयरोजेल' मंगल ग्रह को इंसानों के रहने लायक बना सकती है। नासा के जेट प्रपल्शन लैब और एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि सिलिका एयरोजेल मंगल पर पृथ्वी जैसा वातावरण तैयार करने में मदद करेगी। उनका कहना है कि पूरे मंगल ग्रह को रहने लायक बनाने के बजाय सिलिका एयरोजेल की मदद से मंगल के उन स्थानों पर जहां फ्रोजन वाटर आइस है, इंसानों के रहने लायक छोटे-छोटे द्वीप बनाये जा सकते हैं। सिलिका एयरोजेल से मंगल की सतह को गर्म किया जा सकता है। 

फसलें भी उगाई जा सकेंगी: वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया कि मंगल की सतह पर सिलिका एयरोजेल की पतली परत को बिछाकर वहां के तापमान को 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाया जा सकता है। इससे वहां फसलें भी उगाई जा सकेंगी। इस पदार्थ से मंगल ग्रह पर एक स्वयंभू जीवमंडल का निर्माण किया जा सकता है और इससे इंसानों के रहने लायक गुंबदनुमा घर बनाये जा सकते हैं। 

इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबिन वर्ड्सवर्थ ने कहा कि पृथ्वी की ध्रुवीय बर्फ जमे हुए पानी से बनी है, जबकि मंगल के ध्रुवीय बर्फ वाटर आईस और जमे हुए कार्बन-डाई-ऑक्साइड का मिश्रण हैं जो सूर्य की रोशनी को तो पार होने देते हैं, लेकिन उसकी गर्मी को सोख लेते हैं। इसलिए सिलिका एयरोजेल की एक पतली परत भी मंगल की सतह को गर्म करने में सक्षम है। 

 
125 डिग्री सेल्सियस माइनस तक चला जाता है मंगल ग्रह का तापमान सर्दी के मौसम में।  मंगल पर नहीं होगी पानी की कमी मॉडलिंग और प्रयोगों के माध्यम से वैज्ञानिकों ने अपने शोध में साबित किया कि पृथ्वी की तरह ही मंगल ग्रह पर भी सिलिका एयरोजेल की मदद से ग्रीनहाउस गैस इफेक्ट पैदा किया जा सकता है। शोध में बताया गया कि दो या तीन सेंटीमीटर मोटी सिलिका एयरोजेल की टाइल प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त रोशनी संचारित कर सकती है।
 
ऊष्मा का जबरदस्त रोधक ‘सिलिका एयरोजेल’ सिलिकॉन और ऑक्सीजन से बना पृथ्वी का अब तक का सबसे हल्का पदार्थ है। यह ठोस है, लेकिन इसकी जटिल संरचना कुछ ऐसी है कि इसमें 97 प्रतिशत से अधिक हवा है। इसके कारण यह बेहद हल्का और ऊष्मा का जबरदस्त रोधक है। सिलिका एयरोजेल का इस्तेमाल क्रायोजेनिक इंजनों में द्रवित हाइड्रोजन और द्रवित ऑक्सीजन वाले टैंकों के ताप अवरोधन के लिए किया जाता है।

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