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मालदीव: झुका सुप्रीम कोर्ट, राजनीतिक कैदियों की रिहाई का आदेश लिया वापस

मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के अपने आदेश को मंगलवार रात वापस ले लिया। इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के अपने देश में...

मालदीव: झुका सुप्रीम कोर्ट, राजनीतिक कैदियों की रिहाई का आदेश लिया वापस
कोलंबो माले, एजेंसी।Wed, 07 Feb 2018 06:51 AM
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मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के अपने आदेश को मंगलवार रात वापस ले लिया। इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के अपने देश में जारी राजनीतिक संकट के हल के लिए भारत से सैन्य हस्तक्षेप करने की अपील की थी। मालदीव में न्यायपालिका और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के बीच टकराव गहरा गया है। राष्ट्रपति यामीन ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है और सेना ने देश की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गिरफ्तार कर लिया है। 

मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश अली हमीद को सोमवार को राष्ट्रपति की ओर से आपातकाल की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ किसी जांच या किसी आरोप की जानकारी भी नहीं दी गई। देर रात हुए घटनाक्रम के तहत शेष तीन जजों वाली सुप्रीम कोर्ट ने नौ हाईप्रोफाइल राजनीतिक कैदियों के रिहाई के आदेश को वापस ले लिया। जजों ने एक बयान में कहा कि वे राष्ट्रपति द्वारा उठाई गई चिंताओं के मद्देनजर कैदियों की रिहाई के आदेश को वापस ले रहे है। विपक्ष का समर्थन कर रहे पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को भी उनके आवास पर हिरासत में ले लिया गया।

मालदीव संकट:पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से की सैन्य दखल की अपील

इससे पूर्व राष्ट्रपति यामीन ने न्यायाधीशों पर आरोप लगाया कि वह उन्हें अपदस्थ करने की साजिश रच रहे थे और इस साजिश की जांच करने के लिए ही आपातकाल लगाया गया है। मंगलवार को टीवी पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए यामीन ने कहा, 'हमें पता लगाना था कि यह साजिश या तख्तापलट कितना बड़ा था।' मालदीव में राजनीतिक संकट पर चिंतित भारत ने सोमवार को अपने नागरिकों से कहा था कि वे अगली सूचना तक इस द्वीपीय देश की गैर-जरूरी यात्रा नहीं करें। भारत मालदीव के हालात पर पैनी नजर रख रहा है। 

पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से मदद की अपील की है। उनकी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी)  कोलंबो से अपना कामकाज संचालित कर रही है। नशीद ने अपने ट्वीट में कहा, 'हम चाहेंगे कि भारत सरकार अपनी सेना द्वारा समर्थित एक दूत भेजे ताकि न्यायाधीशों और पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम सहित सभी राजनीतिक बंदियों को हिरासत से छुड़ाया जा सके और उन्हें उनके घर लाया जा सके। हम शारीरिक मौजूदगी के बारे में कह रहे हैं।'

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तौर पर चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति नशीद को 2012 में अपदस्थ करने के बाद इस देश ने कई राजनीतिक संकट देखे हैं। बीते गुरूवार को मालदीव में उस वक्त बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद नौ नेताओं को रिहा करने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन कैदियों पर चलाया जा रहा मुकदमा ''राजनीतिक तौर पर प्रेरित और दोषपूर्ण है। इन नौ नेताओं में नशीद भी शामिल हैं। यामीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल से इनकार कर दिया, जिसके बाद राजधानी माले में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। 

नशीद ने कहा कि यामीन ने अवैध रूप से 'मार्शल लॉ (आपातकाल) घोषित किया है। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति यामीन का ऐलान - जिसमें आपातकाल घोषित कर दिया गया है, बुनियादी आजादी पर पाबंदियां लगा दी गई हैं और सुप्रीम कोर्ट को निलंबित कर दिया गया - मालदीव में 'मार्शल लॉ घोषित करने के बराबर है। यह घोषणा असंवैधानिक और अवैध है। मालदीव में किसी को भी इस गैर-कानूनी आदेश को मानने की जरूरत नहीं है और उन्हें नहीं मानना चाहिए।'

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साथ ही नशीद ने कहा, 'हमें उन्हें सत्ता से हटा देना चाहिए। मालदीव के लोगों की दुनिया, खासकर भारत और अमेरिका,  की सरकारों से प्रार्थना है।' उन्होंने अमेरिका से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि सभी अमेरिकी वित्तीय संस्थाएं यामीन सरकार के नेताओं के साथ हर तरह का लेन-देन बंद कर दें। इन घटनाक्रमों पर टिप्पणी करते हुए अमेरिका ने आज कहा कि वह यामीन की ओर से आपातकाल घोषित करने पर ''निराशहै। अमेरिका ने यामीन से कहा कि वह कानून के शासन का पालन करें और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमल में लाएं।

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