तो बदल जाएगा किलोग्राम, जानें कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
एक किलोग्राम यानी एक हजार ग्राम। अभी तक हम यही समझते आए हैं। विभिन्न वस्तुओं का आकार अलग होता है, लेकिन वजन समान हो सकता है। मौजूदा किलोग्राम का वैश्विक पैमाना वर्ष 1889 में पेरिस में तय किया गया था।...
एक किलोग्राम यानी एक हजार ग्राम। अभी तक हम यही समझते आए हैं। विभिन्न वस्तुओं का आकार अलग होता है, लेकिन वजन समान हो सकता है। मौजूदा किलोग्राम का वैश्विक पैमाना वर्ष 1889 में पेरिस में तय किया गया था। आज फिर वहीं ‘वजन एवं माप’ को लेकर विशेषज्ञों का सम्मेलन होगा। वहां किलोग्राम की नई परिभाषा व मानक तय हो सकता है।
फ्रांस में पेरिस के समीप सेंट क्लाउड शहर में ‘इंटरनेशनल प्रोटोटाइप किलोग्राम (आईपीके) नाम का प्लेटिनम इरीडियम धातु का टुकड़ा (ब्लॉक) रखा है। उसी से किलोग्राम का पैमाना तय किया गया था। यह ब्लॉक एक किलोग्राम वजन का सबसे शुद्ध रूप है, परंतु इसके वजन में अंतर आता है। इसे शुद्ध बनाए रखने के लिए कुछ दशकों में साफ करके इसे पुन: तौला जाता है। जो परिणाम आता है, वही वैश्विक तौर पर किलोग्राम का सबसे श्रेष्ठ मानक माना जाता है।
शुक्रवार यानी 16 नवंबर को इसे साफ करके फिर तौला जाएगा, इस घटनाक्रम पर दुनिया की नजरें टिकी हैं। इसमें कुछ माइक्रोग्राम भी अंतर आया तो इसका असर उद्योगों से लेकर विज्ञान व शोध कार्यों तक पर होगा। खासतौर पर उन कार्य क्षेत्रों में जहां, एक-एक माइक्रोग्राम वजन की गणना मायने रखती है। आईपीके की स्थिरता दुनियाभर में वजन के समान मानक बनाए रखने के लिए जरूरी है।
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