जापानी स्टार्टअप कराएगी कृत्रिम उल्का पिंड की बारिश, माइक्रोसेटेलाइट का लाॅन्च आज
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक दिन आसमान से आपकी इच्छानुसार उल्का पिंडों की बरसात होगी? सुनकर थोड़ा अजीब लगे, लेकिन जल्द ही ये सपना पूरा हो जाएगा। विज्ञान, तकनीक और मनोरंजन का अनोखा संगम दुनिया...
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक दिन आसमान से आपकी इच्छानुसार उल्का पिंडों की बरसात होगी? सुनकर थोड़ा अजीब लगे, लेकिन जल्द ही ये सपना पूरा हो जाएगा। विज्ञान, तकनीक और मनोरंजन का अनोखा संगम दुनिया देखेगी।
दरअसल टोक्यो स्थित एक स्टार्टअप एएलई ने कृत्रिम तरीके से उल्का पिंड की बरसात कराने का जिम्मा उठाया है। एएलई दुनिया की पहली शूटिंग स्टार क्रिएशन तकनीक विकसित कर रहा है। इस दिशा में कामयाबी पाने से वह कुछ कदम ही दूर है। अपनी योजना के तहत एएलई बाहरी अंतरिक्ष में दो माइक्रोसेटलाइट से शूटिंग स्टार कणों को रिलीज करके कृत्रिम ढंग से उल्का पिंड की बारिश करवाने की योजना बना रहा है। बता दें कि स्टार्ट की यह पहल स्काई कैनवास प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह दुनिया का पहला आर्टिफिशियल शूटिंग स्टार प्रोजेक्ट है। इसकी घोषणा मार्च 2016 में की गई थी।
यह जापानी कंपनी ऑन डिमांड कराएगी तारों की बारिश
आज लॉन्च होगी माइक्रोसेटेलाइट: पहली माइक्रोसेटेलाइट 17 जनवरी को जापान एयेरोस्पस ऐक्स्प्लोराशन एजेंसी (जाक्सा) के एप्सिलॉन-4 रॉकेट से लॉन्च की जाएगी। यह प्रोग्राम अंतरिक्ष में अपनी कार्यक्षमता प्रदर्शित करने के एक अवसर के रूप में बनाया गया है।
कैसे होगी बरसात: खास किस्म के मैटीरियल से बने ये स्टार कण जब पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करेंगे, तो प्लाज्मा उत्सर्जन प्रक्रिया के जरिये यह जल उठेंगे। इसके बाद धरती पर उल्का पिंडों की बारिश शुरू हो जाएगी। इस बरसात में इतनी चमक होगी कि इंसान इन्हें आसानी से देख सकेंगे।
खतरनाक नहीं होगी कृत्रिम उल्का बरसात
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 1 सेंटीमीटर के कंण, जिनसे उल्का बरसात होगी वह गैर-विषैले पदार्थों से बने हैं। पिछले कुछ सालों में एएलई ने एक सुरक्षित उल्का बरसात को सुनिश्चित करने के लिए तमाम मैटीरियल परीक्षण किए हैं।
2020 में होगी पहली उल्का बरसात
पहला उल्का बरसात इवेंट 2020 में होने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि इसे जापान में हिरोशिमा और सेटो आइलैंड सी के आसपास के क्षेत्र में किया जाएगा। 200 किलोमीटर तक के क्षेत्र में करीब 60 लाख से अधिक लोग इस खूबसूरत नजारे का दीदार कर सकेंगे।
जुटाया जा सकेगा खास डाटा
अंतरिक्ष में मनोरंजन का अवसर मुहैया कराने के साथ-साथ इस प्रोजेक्ट की कुछ वैज्ञानिक वजहें भी हैं। मानव निर्मित उल्काओं का परीक्षण करने के साथ ही सैटेलाइट से पृथ्वी के ऊपरी वातावरण का महत्वपूर्ण डाटा भी जुटाया जा सकेगा, जैसे-घनत्व, हवा की दिशा, संरचना आदि। इन मापदंडों से जुटाई गई जानकारी से आगे चलकर अंतरिक्ष अनुसंधान में सहायता ली जा सकेगी।