Iraq seeks to ease Saudi Arabia Iran hostility at Baghdad summit - International news in Hindi सऊदी अरब और ईरान दोस्ती की ओर बढ़ा रहे कदम, इराक़ कर रहा मध्यस्थता, International Hindi News - Hindustan
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सऊदी अरब और ईरान दोस्ती की ओर बढ़ा रहे कदम, इराक़ कर रहा मध्यस्थता

सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव को कम करने के उद्देश्य से इराक़ ने बग़दाद में दोनों देशों को एक शिखर सम्मेलन में बुलाया है। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इस बैठक में यमन...

Aditya Kumar हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 25 Aug 2021 05:07 PM
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सऊदी अरब और ईरान दोस्ती की ओर बढ़ा रहे कदम, इराक़ कर रहा मध्यस्थता

सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव को कम करने के उद्देश्य से इराक़ ने बग़दाद में दोनों देशों को एक शिखर सम्मेलन में बुलाया है। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इस बैठक में यमन युद्ध, लेबनान मसले के साथ ही क्षेत्रीय जल संकट पर भी चर्चा होने की संभावना है। हालांकि अब तक दोनों देशों ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि वे अपने प्रतिनिधि भेजेंगे या नहीं।

2019 में सऊदी ऑइल प्लांट्स पर हमले के बाद से सऊदी अरब और ईरान के बीच मामला गर्मा गया था। इस हमले से सऊदी के तेल उत्पादन करीब आधे रह गए थे। इस हमले के लिए सऊदी अरब ने ईरान पर आरोप लगाया था, जिससे तेहरान ने इनकार किया था। दोनों देश इस साल अप्रैल में इराक़ में सीधी बातचीत फिर से शुरू की थी।

इब्राहिम रईसी होंगे शामिल?

इराकी अधिकारियों को उम्मीद है कि ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी इस बैठक में शामिल होंगे। उम्मीद है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित मिडिल ईस्ट देशों के और मंत्री भी आएंगे। इराकी प्रधान मंत्री मुस्तफा अल-कदीमी के एक करीबी अधिकारी ने रॉयटर्स  से कहा, 'अगर हम ईरान और खाड़ी देशों के विदेश मंत्रियों को एक साथ एक मेज पर लाते हैं, तो ईरानियों और खाड़ी अरबों के बीच तनाव को खत्म करने की दिशा में इसे एक सफलता माना जा सकता है।'

रियाद और तेहरान ने तनाव को कम करने के लिए अप्रैल 2021 से सीधी बातचीत शुरू की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इराक ने 2021 की शुरुआत में सऊदी और ईरानी अधिकारियों के बीच निजी बैठकों की मेजबानी की थी। इस बैठक से दोनों देशों को 'सकरात्मक संकेत' मिले थे और दोनों देश सीधी बातचीत को लेकर तैयार दिखे थे।

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की एक रिपोर्ट बताती है कि क्षेत्रीय संघर्ष की संभावना के साथ-साथ वॉशिंगटन को अविश्वसनीय मानने की इन देशों की धारणा ने सउदी और अमीरात को तेहरान के साथ एक सीमित, सामरिक, द्विपक्षीय डी-एस्केलेशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।

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