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ICC पहुंचा अफगानिस्तान में तालिबान राज का मामला, पूछा-कौन कर रहा 'डील'

अफगानिस्तान में तालिबान शासन का मामला अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के पास पहुंच गया है। आईसीसी के न्यायाधीशों ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव से यह जानकारी मांगी है कि अगस्त में...

ICC पहुंचा अफगानिस्तान में तालिबान राज का मामला, पूछा-कौन कर रहा 'डील'
एजेंसी,नई दिल्लीFri, 08 Oct 2021 08:25 PM

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अफगानिस्तान में तालिबान शासन का मामला अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के पास पहुंच गया है। आईसीसी के न्यायाधीशों ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव से यह जानकारी मांगी है कि अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अंतरराष्ट्रीय निकायों में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है?

आईसीसी के अनुरोध का उद्देश्य अफगानिस्तान के नए नेतृत्व के बारे में स्थिति को स्पष्ट करना है क्योंकि, न्यायाधीश पिछले महीने वैश्विक अदालत के नए अभियोजक द्वारा 2002 से अफगानिस्तान के संघर्ष से जुड़े मानवता के खिलाफ कथित युद्ध अपराधों और अन्य अपराधों की जांच फिर से शुरू करने की अनुमति के अनुरोध पर आदेश देने वाले हैं।

न्यायाधीशों ने अदालत की 'असेंबली ऑफ स्टेट्स पार्टीज' से भी यही स्पष्टीकरण मांगा है। अफगानिस्तान अदालत का सदस्य है। अदालत ने एक बयान में कहा कि न्यायाधीशों ने अभियोजक करीम खान को याद दिलाया है कि वह ''सबूत को संरक्षित करने के उद्देश्य से आवश्यक जांच कदम उठाने के लिए प्राधिकार के समक्ष अनुरोध कर सकते हैं जहां महत्वपूर्ण सबूत प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर है या जहां आशंका है कि इस तरह के सबूत बाद में उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।''

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों ने पिछले साल मार्च में अभियोजक को जांच के लिए अधिकृत किया था। अफगान सरकार के सुरक्षा बलों, तालिबान, अमेरिकी सैनिकों और अमेरिकी विदेशी खुफिया विभाग द्वारा 2002 से किए गए अपराध इस जांच के दायरे में आएंगे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय अंतिम विकल्प है, जिसे 2002 में उन देशों में कथित अत्याचारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए स्थापित किया गया था, जहां अपराधियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जा सका।

 खान ने पिछले महीने कहा था कि अब वह तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह से संबद्ध आतंकी संगठनों द्वारा किए गए अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही कहा कि अमेरिकियों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों समेत वह अन्य पहलुओं को जांच में 'प्राथमिकता' में नहीं रखेंगे। इस पर मानवाधिकार समूहों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी।

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