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साउथ चाइना सी पर विवाद के बीच पहली बार इंडोनेशिया पहुंची भारत की सिंधुकेसरी पनडुब्बी, ड्रैगन को टेंशन

नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय युद्धपोत अक्सर इंडोनेशिया और अन्य आसियान देशों का दौरा करते हैं। यह पहली बार है, जब कोई पनडुब्बी पहुंची है। यह तैनाती लड़ाकू ताकत को रेखांकित करती है।

साउथ चाइना सी पर विवाद के बीच पहली बार इंडोनेशिया पहुंची भारत की सिंधुकेसरी पनडुब्बी, ड्रैगन को टेंशन
Madan Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीFri, 24 Feb 2023 04:17 PM
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INS Sindhukesari: साउथ चाइना सी पर चीन के दावे की वजह से दुनियाभर में टेंशन है। यहां के पानी से लेकर विभिन्न तत्वों पर ड्रैगन अपना दावा करता है। इस वजह से चीन की पश्चिमी देशों के साथ कई बार आमना-सामना भी हो चुका है। इन विवादों के बीच पहली बार भारत की पनडुब्बी इंडोनेशिया पहुंची है। मालूम हो कि चीन और इंडोनेशिया में भी साउथ चाइना सी को लेकर विवाद है। ऐसे में भारत की पनडुब्बी का इंडोनेशिया पहुंचने के बाद माना जा रहा है कि यह चीन के लिए टेंशन से कम नहीं है।

तीन हजार टन की डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी आईएनएस सिंधुकेसरी बुधवार को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता पहुंची। वहां तक पहुंचने के लिए पनडुब्बी ने सुंडा स्ट्रेट को पार किया। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया कि भारतीय युद्धपोत अक्सर इंडोनेशिया और अन्य आसियान देशों का दौरा करते हैं। यह पहली बार है, जब कोई पनडुब्बी पहुंची है। यह तैनाती देश के पानी के नीचे की लड़ाकू ताकत को रेखांकित करती है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत और इंडोनेशिया ने कई क्षेत्रों में अपने रणनीतिक और रक्षा सहयोग का विस्तार किया है, विशेष रूप से पीएम नरेंद्र मोदी की 2018 में देश की यात्रा के दौरान हुए एक नए रक्षा सहयोग समझौते के बाद विस्तार हुआ है।

आईएनएस सिंधुकेसरी रूस के सेवेरोड्विंस्क में 1,197 करोड़ रुपये के 'मध्यम रिफिट-कम-लाइफ एक्सटेंशन' से गुजरा थी। यह चार पुरानी सिंधुघोश-क्लास (रूसी-ओरिजिन किलो-क्लास) और शीशुमार-क्लास (जर्मन एचडीडब्ल्यू) पनडुब्बियों को अपग्रेड करने की योजना के रूप में था। इंडोनेशिया में पनडुब्बी की तैनाती इस महीने की शुरुआत में नागपुर में फिलीपींस से 21 सैन्य कर्मियों के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को संभालने के लिए भारत द्वारा दी गई ट्रेनिंग के तुरंत बाद की गई है।

भारत ब्राह्मोस के तट-आधारित एंटी-शिप सिस्टम की तीन मिसाइल बैटरी की सप्लाई करेगा। यह एक काफी घातक (गैर-परमाणु) हथियार है जोकि 290-किमी की रेंज के साथ 2.8 में ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक स्पीड से उड़ती है। इसको लेकर पिछले साल जनवरी में 375 मिलियन डॉलर का अनुबंध किया गया था। इससे पहले भारत ने साल 2020 में आईएनएस सिंधुवीर पनडुब्बी को म्यांमार भेजा था। ब्रह्मोस जिसे भारत ने रूस के साथ मिलकर संयुक्त रूप से बनाया है, के अलावा आकाश मिसाइल सिस्टम को भी दूसरे देशों को बेचने की उम्मीद की जा रही है। यह सिस्टम हेलीकॉप्टर्स, ड्रोन्स, सबसोनिक क्रूज मिसाइलों आदि को इंटरसेप्ट करने में काफी मददगार है। इस सिस्टम को फिलिपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम जैसे देशों को बेचे जाने की संभावना जताई जा रही है।

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