भारत-अमेरिका दोस्ती को बढ़ावा, PM मोदी ने ऊर्जा कंपनियों के CEO के साथ की बैठक
ह्यूस्टन आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सबसे पहले तेल सेक्टर के 16 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर सार्थक वार्ता की। बैठक से...
ह्यूस्टन आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सबसे पहले तेल सेक्टर के 16 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर सार्थक वार्ता की। बैठक से पहले मोदी ने तेल सेक्टर के सीईओज के साथ फोटो खिंचवाई। इस दौरान भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री कायार्लय ने ट्वीट करते हुए कहा, “भारत-अमेरिका मित्रता को और सशक्त करते हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे पहला कार्यक्रम ऊर्जा सेक्टर के सीईओज से मुलाकात करना है। भारत और अमेरिका इस क्षेत्र में विविधता पूर्ण सहयोग चाहते हैं।”
Further energising India-USA friendship.
Among the first engagements of PM @narendramodi in Houston is a meeting with CEOs from the energy sector.
India and USA are looking to diversify cooperation in this sector. pic.twitter.com/uqlozcTOAZ
— PMO India (@PMOIndia) September 21, 2019
मोदी के साथ अमेरिका की जिन प्रमुख कंपनियों के सीईओ ने वार्ता की, उनमें बेकर हग्स, बीपी, चेनीर इनर्जी, डोमीनियन इनर्जी, इमरसन इलेक्ट्रिक कंपनी, एक्सनमोबिल, पेरट ग्रुप एंड हिलवुड, आईएचएस मार्किट, ल्योंडेलबासेल इंडस्ट्रीज, मैकडेरमट, स्क्लंबर्गर, टेल्यूरियन, टोटल, एयर प्रोडक्ट्स, विनमार इंटरनेशनल और वेस्टलेक केमिकल्स हैं।
इससे इतर भारत की पेट्रोनेट एलएनजी ने अमेरिका की तरलीकृत प्राकृति गैस (एलएनजी) डेवलपर टेल्यूरियन इंक से 50 लाख टन एलएनजी के लिए लूसियाना में स्थित एक सहायक कंपनी ड्रिफ्टवुड होल्डिंस में इक्विटी इनवेस्टमेंट के माध्यम से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन में ऊर्जा क्षेत्र के शीर्ष मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ राउंडटेबल वार्ता की। उन्होंने कहा, “वार्ता में ऊर्जा सुरक्षा के लिए साथ काम करने और भारत तथा अमेरिका के बीच आपसी निवेश संभावनाओं का प्रसार करने पर फोकस रहा।”
Getting straight to business.
PM @narendramodi just concluded a fruitful interaction with top energy sector CEOs at a Roundtable meeting in #Houston. Discussion focused on working together for energy security and expanding mutual investment opportunities between India & US. pic.twitter.com/UHnEFd9Oll
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) September 22, 2019
सऊदी अरब के तेल क्षेत्र पर हमले को लेकर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत की चिंता बनी हुई। वहीं, अमेरिका द्वारा शर्तिया छूट की अवधि समाप्त होने के बाद भारत ने ईरान से तेल का आयात बंद कर दिया है। ह्यूस्टन को अमेरिका के तेल और गैस की राजधानी के रूप में जाना जाता है। भारत और अमेरिका ने ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए पिछले साल रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी को समझौता किया था।
अमेरिका ने 2017 में भारत को क्रूड ऑयल बेचना शुरू किया था, और एक प्रमुख स्रोत बन रहा है। अमेरिका से आपूर्ति वित्त वर्ष 2018-19 में चार गुनी से ज्यादा बढ़कर 64 लाख टन हो चुकी है। अमेरिका से आपूर्ति के पहले सत्र वित्त वर्ष 2017-18 में सिर्फ 14 लाख टन आपूर्ति हुई थी। भारत ने नवंबर 2018 से मई 2019 तक अमेरिका से प्रतिदिन 1,84,000 बैरल तेल प्रतिदिन खरीदा है।
15 साल में 4.5% बढ़ेगी ऊर्जा खपत : सूत्रों की मानें तो भारत में अगले 15 वर्षों में साढ़े चार फीसदी के आसपास की दर से ऊर्जा खपत बढ़ेगी। अगले 20 वर्षों के लिए एक अनुमान के मुताबिक विश्व भर में ऊर्जा खपत का करीब दस से 11% तक भारत में खर्च हो सकता है। इस लिहाज से भारत में ऊर्जा का एक बड़ा बाजार है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक व नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र सबसे बड़ा जरिया हो सकता है।
175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य : भारत ने 2022 तक करीब 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इसमें सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 100 गीगावॉट तय की गई है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत विश्व में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका ने 2017 में ऊर्जा क्षेत्र में हुए रणनीतिक समझौते के बाद से लंबी छलांग लगाई है। दोनों देश ऊर्जा सहयोग के लिए मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं। कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की इच्छा जताई है।
इससे पहले 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के लिए शनिवार को ह्यूस्टन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारतीय समुदाय के लोगों ने जोरदार स्वागत किया। इस कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी मौजूद रहेंगे और मोदी 50,000 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी लोगों को संबोधित करेंगे। रविवार को यहां एनआरजी फुटबॉल स्टेडियम में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम का आयोजन होगा। पोप को छोड़कर, किसी निर्वाचित विदेशी नेता के अमेरिका दौरे पर लोगों का यह सबसे बड़ा जमावड़ा होगा।
ह्यूस्टन के जॉर्ज बुश अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के तुरंत बाद मोदी ने ट्वीट किया, ''हाउडी ह्यूस्टन ! यहां ह्यूस्टन में दोपहर है। आज और कल इस गतिशील और ऊर्जावान शहर में कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला को लेकर उत्सुक हूं।" भारत में अमेरिकी दूत केनेथ जस्टर, अमेरिका में भारतीय दूत हर्षवर्द्धन श्रृंगला और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की अगवानी की।
Howdy Houston!
It’s a bright afternoon here in Houston.
Looking forward to a wide range of programmes in this dynamic and energetic city today and tomorrow. pic.twitter.com/JxzWtuaK5x
— Narendra Modi (@narendramodi) September 21, 2019
अगले 24 घंटे में ह्यूस्टन में मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ ''हाउडी मोदी" कार्यक्रम में भारतीय अमेरिकी समुदाय और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे। अमेरिका रवाना होने से पहले मोदी ने एक बयान में कहा था कि ह्यूस्टन के कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा पहली बार होगा कि मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से दिखाया गया विशेष भाव भारत और अमेरिका के बीच विशेष मित्रता को रेखांकित करता है। यह संबंधों की मजबूती को दर्शाता है तथा अमेरिकी समाज और अर्थव्यवस्था में भारतीय समुदाय के योगदान को प्रदर्शित करता है। ह्यूस्टन के बाद मोदी न्यूयॉर्क जाएंगे जहां वह 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करेंगे।
मोदी मंगलवार को ट्रंप से न्यूयॉर्क में मिलेंगे। पिछले चार महीने में दोनों नेताओं की यह चौथी बैठक होगी। न्यूयार्क की बैठक से आगामी वर्षों के लिए दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय होने की संभावना है। उम्मीद है कि दोनों नेता बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार विवाद के समाधान के प्रयास, रक्षा और ऊर्जा समझौते और अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया सहित विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत कर सकते हैं।
(इनपुट एजेंसी से भी)
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