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पाकिस्तान को धमकी, भारत से नजदीकी; तालिबान ने बढ़ाए कदम, 20 प्रोजेक्ट फिर चालू कर सकता है नई दिल्ली

अगस्त 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था, तब भारत को अपने सभी प्रोजेक्ट बंद करने पड़े थे। इसके बाद भारत ने अपना दूतावास बंद कर दिया था, जो कुछ महीने पहले फिर से चालू हुआ है।

पाकिस्तान को धमकी, भारत से नजदीकी; तालिबान ने बढ़ाए कदम, 20 प्रोजेक्ट फिर चालू कर सकता है नई दिल्ली
Pramod Kumarलाइव हिन्दुस्तान,काबुलThu, 01 Dec 2022 10:46 AM
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अफगानिस्तान के शहरी विकास और आवास मंत्रालय ने कहा है कि काबुल में भारतीय प्रभारी राजदूत, भरत कुमार ने दोनों देशों के बीच के संबंधों को सुधारने और दिल्ली की परियोजनाओं को फिर से शुरू करने में भारत की रुचि व्यक्त की है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, भरत कुमार ने शहरी विकास और आवास मंत्री हमदुल्ला नोमानी के साथ एक बैठक में यह टिप्पणी की।

एजेंसी ने MUDH के हवाले से कहा, "उम्मीद है कि भारत देश के कई प्रांतों में कम से कम 20 परियोजनाओं पर काम फिर से शुरू करेगा। कुमार ने काबुल में शहरी विकास और आवास मंत्री हमदुल्ला नोमानी के साथ एक बैठक में यह टिप्पणी की।"

शहरी विकास और भूमि मामलों के कार्यवाहक मंत्री मौलवी हमदुल्ला नोमानी ने भारतीय व्यापार समुदाय से अफगानिस्तान के शहरी विकास क्षेत्र में निवेश करने का आग्रह किया था।

शहरी विकास और आवास मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद कमाल अफगान ने कहा, "ये परियोजनाएं पूर्ववर्ती सरकार के दौरान लागू की गई थीं, लेकिन राजनीतिक परिवर्तन या अन्य मुद्दों के कारण उसमें देरी हुई। वे अब इन परियोजनाओं को फिर से शुरू करने में रुचि दिखा रहे हैं।" टोलो न्यूज ने बताया कि अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि उनका मानना ​​है कि भारतीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन से अफगानिस्तान में नौकरी के अवसर बढ़ेंगे और देश में विकास को बढ़ावा मिलेगा। 

मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि कार्यवाहक मंत्री नोमानी ने काबुल में भारतीय दूतावास के प्रभारी से मुलाकात की। इस यात्रा के दौरान, कार्यवाहक मंत्री नोमानी ने कहा: "भारतीय व्यवसायी शहरी और आवास क्षेत्र में निवेश कर सकते हैं, विशेष रूप से न्यू काबुल सिटी परियोजना में"।

नुमानी ने आगे कहा, "भारत ने पूर्व में अफगानिस्तान में कुछ परियोजनाओं को लागू किया था, जबकि भुगतान न होने के कारण उनमें से कुछ अधूरी रह गई थीं।" उन्होंने भारत सरकार से अधूरी परियोजनाओं के बारे में भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।

स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि परियोजनाओं को लागू करने से नौकरी के अवसर बढ़ेंगे, गरीबी और बेरोजगारी कम होगी और देश में विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, अफगान इंजीनियरों की क्षमता को और बढ़ाने के लिए भारतीय दूत से नागरिक और शहरी विकास क्षेत्र में मास्टर और पीएचडी डिग्री के लिए अफगान नागरिकों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।

अगस्त 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था, तब भारत को अपने सभी प्रोजेक्ट बंद करने पड़े थे। इसके बाद भारत ने अपना दूतावास बंद कर दिया था, जो कुछ महीने पहले ही फिर से वहां काम करना शुरू किया है। हालांकि, भारत अभी भी सुरक्षा के मुद्दे पर चिंतित है क्योंकि हाल ही में वहां आतंकवादी समूहों ने कई नागरिक परियोजनाओं, धार्मिक स्थलों और रूसी दूतावास को निशाना बनाया है।

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने  से पहले भारत ने लगभग तीन बिलियन डॉलर की विकास और क्षमता निर्माण परियोजनाओं में निवेश किया था। अफगानिस्तान में भारत द्वारा समर्थित महत्वपूर्ण परियोजनाओं में हेरात प्रांत में 42MW सलमा बांध अहम रहा है, जिसका उद्घाटन 2016 में किया गया था। इसे अफगान-भारत मैत्री बांध के रूप में जाना जाता रहा है। अन्य हाई-प्रोफाइल परियोजना सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित 218-किमी जरांज-डेलाराम राजमार्ग है।

भारत ने काबुल में 90 मिलियन डॉलर में अफगान संसद का निर्माण किया। 2016 में, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और प्रधान मंत्री मोदी ने काबुल में पुनर्स्थापित स्टोर पैलेस का उद्घाटन किया, जिसे शुरू में 19वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था। भारत ने काबुल में अपने प्रमुख अस्पतालों में से एक का निर्माण भी किया है।

हाल के दिनों में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को खुली धमकी दी थी कि उसके हजारों तालिबान हमलावर पाकिस्तान में घुसकर हजारों घरों को आग लगा देंगे और इस्लामाबाद को अफगानिस्तान की दूसरी राजधानी बना देंगे। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह पूरी दुनिया में अफगानिस्तान को बदनाम कर रहा है।

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