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पहले दोस्ती, अब मजबूरी; चीन का साथ छोड़ भारत से मदद मांग रहे मुइज्जू? मालदीव ने क्यों बदला रुख

भारत विरोधी रुख अपनाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अब भारत से मदद की गुहार लगा रहे हैं। चीन से नजदीकियां रखने के बावजूद, उन्होंने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए हैं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 4 Aug 2024 10:53 AM
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भारत के पड़ोसी देश मालदीव के राजनीतिक समीकरणों में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जो अपने कार्यकाल की शुरुआत में भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते थे, अब भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भारत की कूटनीति का असर मालदीव पर भी दिखने लगा है, और यह बदलाव मुइज्जू के हालिया कदमों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

मालदीव में भारत के लिए झुकाई पलकें
मुइज्जू ने सत्ता में आने के बाद भारतीय प्रभाव को खत्म करने की कसम खाई थी, अब वही भारत की तारीफ कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में मालदीव के स्वतंत्रता दिवस पर सार्वजनिक रूप से भारत को धन्यवाद दिया। यह वही मुइज्जू हैं जिन्होंने पहले भारतीय सैनिकों और भारत द्वारा आपूर्ति किए गए डोर्नियर विमानों और हेलीकॉप्टरों की मालदीव में मौजूदगी पर सवाल उठाए थे। मुइज्जू ने आरोप लगाया था कि इन विमानों और हेलीकॉप्टरों के जरिए भारत मालदीव की निगरानी कर रहा है। 

लेकिन अब, डोर्नियर एयर एम्बुलेंस ने मालदीव में फिर से मरीजों की देखभाल का काम शुरू कर दिया है। मुइज्जू ने अपनी सरकार के शुरुआती दिनों में भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने का दावा किया था, लेकिन अब उन्होंने भारतीय तकनीशियनों की मदद से इन विमानों और हेलीकॉप्टरों का संचालन जारी रखने की अनुमति दी है। यह बदलाव मालदीव और भारत के बीच रिश्तों में सुधार का संकेत है।

मालदीव की पर्यटन उद्योग पर निर्भरता
मालदीव की अधिकांश अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग पर निर्भर करती है। भारतीय पर्यटकों का देश में बड़ा योगदान है, लेकिन मुइज्जू के भारत विरोधी रुख के कारण भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी आई थी। अब मालदीव के पर्यटन मंत्री इब्राहिम फैजल ने 'वेलकम इंडिया' पहल की शुरुआत की है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय पर्यटकों को वापस लाना है। 

चीन का प्रभाव और मालदीव की चिंता
मुइज्जू की सरकार ने चीन के साथ नजदीकियों के बावजूद, हाल ही में भारत की ओर झुकाव दिखाया है। मुइज्जू के चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों के बावजूद, मालदीव के लिए चीन से कर्ज लेना अब एक चिंता का विषय बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चेतावनी दी है कि मालदीव चीन के कर्ज जाल में फंस सकता है। चीन से कर्ज लेने के बावजूद, मालदीव के पास उसे चुकाने की क्षमता नहीं है, जिससे मुइज्जू सरकार की स्थिति कमजोर होती जा रही है।

भारत के साथ आर्थिक सहयोग चाहता है मालदीव
मालदीव ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की पेशकश की है। इस प्रस्ताव के तहत, मालदीव के उत्पादों पर भारत में आने पर कोई निर्यात शुल्क नहीं लगेगा। मुइज्जू ने मालदीव के ऋण भुगतान की सुविधा के लिए भारत को धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि भविष्य में दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। 

नए संबंधों की ओर बढ़ता कदम
मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद मालदीव और भारत के बीच रिश्तों में तनाव देखने को मिला था, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। मुइज्जू ने अपने कार्यकाल के दौरान यह महसूस किया है कि भारत के साथ दुश्मनी लंबे समय तक नहीं चल सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भारतीय नेताओं के साथ मुलाकात कर दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा जताई है।

मालदीव की बदलती कूटनीतिक स्थिति और भारत के साथ संबंधों में सुधार का यह प्रयास न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया की स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह बदलाव दर्शाता है कि मुइज्जू सरकार अब चीन की तुलना में भारत के साथ सहयोग को अधिक महत्व दे रही है। यह देखने लायक होगा कि आने वाले समय में मालदीव और भारत के बीच संबंध कैसे विकसित होते हैं और यह क्षेत्रीय राजनीति को कैसे प्रभावित करता है।

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