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काबुल में दूतावास खोलने की तैयारी में है भारत! समझिए क्या है कारण

सीनियर डिप्लोमैट्स के बिना भारत काबुल में दूतावास खोलने को देख रहा है और इसी को लेकर भारतीय सुरक्षा अधिकारियों की एक टीम फरवरी में जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए काबुल पहुंची थी।

काबुल में दूतावास खोलने की तैयारी में है भारत! समझिए क्या है कारण
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 17 May 2022 11:59 AM

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अफगानिस्तान में भारत फिर से अपना दूतावास खोलने की संभावना तलाश रहा है। सीनियर डिप्लोमैट्स के बिना भारत काबुल में दूतावास खोलने को देख रहा है और इसी को लेकर भारतीय सुरक्षा अधिकारियों की एक टीम फरवरी में जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए काबुल पहुंची थी। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि काबुल दूतावास सिर्फ संपर्क के मकसद के लिए कर्मियों के साथ काम करेगा जो कि कांसुलर सेवाओं तक विस्तारित किया जा सकता है। हालंकि इसका मतलब तालिबान शासन को मान्यता देना नहीं है।

भारत ने क्यों बंद किया था दूतावास?

बता दें कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के दो ही दिन बाद 17 अगस्त को भारत ने काबुल स्थित दूतावास को बंद कर दिया था। एक्सपर्ट्स ने बताया है कि भारत तालिबान शासन को मान्यता नहीं देता, 2008 में दूतावास पर हुए घातक हमला और 1998 के दौरान ईरान के मजार-ए-शरीफ वाणिज्य दूतावास में ईरानी राजनयिकों का तालिबान द्वारा अपहरण आदि सहित कई कारणों को देखते हुए भारत ने दूतावास को बंद करने का फैसला किया था।

अफगानिस्तान में अकेला पड़ गया है भारत?

चूंकि अब कई देशों ने तालिबान से बातचीत शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई दी है। कई देशों ने काबुल में अपने अधिकारियों को भेजने शुरू कर दिए हैं और दूतावास खोल रहे हैं। ऐसे में अफगानिस्तान में भारत अकेला नजर आ रहा है। 16 मई को शंघाई सहयोग संगठन के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना समूह की बैठक नई दिल्ली में हुई जिसमें अफगानिस्तान एजेंडे पर था। ऐसे में भारत बातचीत के लिए काबुल में दूतावास खोलने पर विचार कर रहा है।

जब तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा कर रहा था उस वक्त भी पाकिस्तान, चीन, ईरान और रूस जैसे देशों ने अपने मिशन को बंद नहीं किया था। सभी पांच मध्य एशियाई देशों के तालिबान के साथ राजनयिक संबंध हैं। अमेरिका ने पहले ही तालिबान के साथ समझौता किया हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देश भी लौट आए हैं हालांकि अब तक किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है।

मध्य एशिया पर है भारत का फोकस?

सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली यह भी देख रही है कि अफगानिस्तान के बिना मध्य एशियाई देशों तक भारत की पहुंच बेहद सीमित है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि फरवरी में काबुल का दौरा करने वाली टीम ने तालिबान सरकार के अधिकारियों से बातचीत की है।

तालिबान ने हाल के महीनों में कहा है कि वह भारतीय मिशन को फिर से खोलने के लिए एक सुरक्षित वातावरण देंगे। अफगानिस्तान के बड़े नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला 2 मई से भारत में हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि वह तालिबान की ओर से कोई संदेश लेकर आए हैं। ऐसे में देखना होगा कि अफगनिस्तान और तालिबान को लेकर भारत सरकार क्या कदम उठाने जा रही है।

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