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पाकिस्तान में किंगमेकर की भूमिका में छोटी पार्टियां, सरकार बनाने में जुटे इमरान खान

पाकिस्तान में सरकार बनाने में अब छोटे दल ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं। सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद इमरान खान की ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) को पूर्ण बहुमत...

पाकिस्तान में किंगमेकर की भूमिका में छोटी पार्टियां, सरकार बनाने में जुटे इमरान खान
नई दिल्ली | हिन्दुस्तान टीम Sat, 28 Jul 2018 05:41 PM
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पाकिस्तान में सरकार बनाने में अब छोटे दल ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं। सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद इमरान खान की ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। पाकिस्तान चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पीटीआई को 116 सीटें मिली हैं, जबकि सरकार गठन के लिए 172 सीटें हासिल करना जरूरी है। वहीं सरकार बनाने के मकसद से इमरान खान ने विभिन्न पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। 

माना जा रहा है कि इमरान खान छोटे दलों के सहयोग से सरकार बना लेंगे। ‘मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान’ (एमक्यूएम-पी) एक दिन पहले तक चुनावी प्रक्रिया में धांधली का मुद्दा उठा रहा था, लेकिन अब उसने इमरान को समर्थन देने के संकेत दे दिए हैं। एमक्यूएम-पी के खाते में छह सीटे हैं। इसी तरह 12 सीटें जीतने वाला ‘मुत्ताहिदा-मजलिस-ए-अमल’ (एमएमए) दल भी पीटीआई के संपर्क में है। इसके अलावा 13 निदर्लीय भी इमरान को समर्थन देने की तैयारी में हैं। पीटीआई के जहांगीर तरीन ने एमक्यूएम-पी के संयोजक डॉक्टर खालिद मकबूल सिद्दीकी से फोन पर बात की। 

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जीते कोई भी, एमक्यूएम हमेशा सरकार में: 
पाकिस्तान में माना जाता है कि सरकार चाहे किसी भी दल की हो, लेकिन एमक्यूएम हमेशा ही सरकार में शामिल हो जाती है। 1988, 1990, 1997, 2002 और 2008 में एमक्यूएम सरकार में शामिल हो चुकी है। यह पार्टी यूसुफ रजा गिलानी, राजा परवेज अशरफ, नवाज शरीफ और शाहिद खाकान अब्बासी को सरकार बनाने में मदद कर चुकी है। 

कभी मुजाहिरों की पार्टी थी: 
एमक्यूएम का गठन 1984 में हुआ था और इसे मुजाहिर समुदाय की पार्टी माना जाता था। मगर बाद में समाज के अन्य वर्ग भी पार्टी से जुड़ते चले गए। वर्तमान में पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है। एमक्यूएम-लंदन और एमक्यूएम-पाकिस्तान। इस पार्टी पर हिंसा फैलाने और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे हैं, जिसके चलते इस पर प्रतिबंध भी लगाया गया था। 

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कानून के अनुसार पाकिस्तान के राष्ट्रपति को सांसदों के शपथ ग्रहण और नये स्पीकर के चयन के लिये चुनाव के 21 दिन के अंदर नेशनल असेंबली का पहला सत्र बुलाना होता है।

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