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गर्भवती लेडी प्रधानमंत्री रहे, कट्टर मुस्लिमों को नहीं था मंजूर; समय से पहले डिलीवरी कराने को बेनजीर कैसे हुई थीं मजबूर

Pakistan Benazir Bhutto: 7 अगस्त, 1990 को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने भ्रष्टाचार करने और भाई-भतीजावाद के आरोप में बेनजीर भुट्टो की सरकार को बर्खास्त कर दिया था।

गर्भवती लेडी प्रधानमंत्री रहे, कट्टर मुस्लिमों को नहीं था मंजूर; समय से पहले डिलीवरी कराने को बेनजीर कैसे हुई थीं मजबूर
Pramod Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSun, 12 Nov 2023 02:44 PM
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बात 1990 की है। बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री थीं। अपने पिता जुल्फिकार अली भुट्टो का विरासत संभालने वालीं बेनजीर ने पिता को फांसी दिए जाने के नौ साल बाद 1988 के चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल की थी। तब वह पहली बार 2 दिसंबर 1988 को पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थीं। वह पाक की पहली महिला प्रधानमंत्री भी थीं। इतना ही नहीं, वह किसी इस्लामिक देश की भी पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। युवा दिनों में बेलौस अंदाज में रहने वालीं बेनजीर ने जब इस्लामिक देश पाकिस्तान की कमान संभाली तो उन्होंने अपने सिर से ताउम्र कभी भी परंपरागत सफेद पल्लू उतरने नहीं दिया। हालांकि, उन्हें पग-पग कट्टर मुस्लिम समाज की चुनौतियां भी झेलनी पड़ीं। 

बेनजीर में जुल्फिकार की छवि
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं और उन दिनों स्पोर्ट्स कार चलाने वालीं बेनजीर जब 1986 में स्वदेश लौटकर आईं, तो जगह-जगह उनका जोरदार स्वागत हुआ। पाकिस्तान में लोग बेनजीर में जुल्फिकार की छवि देख रहे थे। जब वो पहली बार गर्भवती हुईं तो ऐसा जानकर कि एक गर्भवती महिला चुनावों में कैसे प्रचार करेगी और कैसे चुनाव लड़ेगी, पाकिस्तान के तत्कालीन फौजी तानाशाह ने संसद भंग कर अविलंब चुनाव का ऐलान कर दिया।

गर्भवती महिला चुनावी सभा में कैसे जाएगी?
बेनजीर भुट्टो ने अपनी आत्मकथा 'मेरी आपबीती' में लिखा है, "1988 में जब मैं अपने पहले बच्चे के जन्म की उम्मीद में थी, और बिलावल होने वाला था, तब फौजी तानाशाह ने संसद भंग करके आम चुनावों की घोषणा कर दी थी। वह और उनके फौजी अफसर सोचते थे कि ऐसी हालत में कोई औरत कैसे चुनावी सभाओं में जा पाएगी लेकिन वे गलत साबित हुए। मैं निकली और चुनाव अभियान में हिस्सा लिया। मैं लगातार अपने इस काम में लगी रही और वह चुनाव जीता, जो 21 सितंबर, 1988 को बिलावल के जन्म के कुछ ही दिनों बाद कराए गए थे।"

बेनजीर ने आगे लिखा है, "बिलावल का पैदा होना मेरी जिंदगी के लिए एक बेहद खुशी का दिन था, साथ ही उन चुनावों का जीतना भी, जिनके बारे में अटकलें थीं कि एक मुस्लिम औरत लोगों के दिल और सोच को कभी नहीं जीत पाएगी। यह दोनों ही खुशियां मुझे मेरी जिंदगी में एकसाथ मिलीं।" बेनजीर ने जब प्रधानमंत्री का पद संभाला, तब उनकी गोद में दो महीने का दुधमुंहा बच्चा था। 

दूसरी बार गर्भवती हुई तो मचा सियासी हड़कंप
दो साल बाद प्रधानमंत्री बेनजीर जब दूसरी बार गर्भवती हुईं तो यह खबर उनके राजनीतिक विरोधियों तक पहुंच गईं। हुआ यह था कि फौजियों की हौसला आफजाई के लिए बेनजीर स्वास्थ्य जोखिम लेते हुए सियाचीन ग्लेशियर की ऊंची बर्फीली चोटियों पर गई थीं, ताकि सेना का मनोबल बढ़ाया जा सके। उनके इस कदम से विरोधी अचंभे में थे लेकिन उन्हें बेनजीर को अपदस्थ करने का मौका मिल गया था।

महिला प्रधानमंत्री प्रसव अवकाश नहीं ले सकती?
बेनजीर अपनी आत्मकथा में लिखती हैं, "जैसे ही राजनीतिक विरोधियों को पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं, बेमतलब का शोर-शराबा शुरू कर दिया। उन्होंने राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि मुझे बर्खास्त कर दिया जाए। उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया कि पाकिस्तान के सरकारी नियमों में इस बात की गुंजाइश नहीं है कि प्रधानमंत्री संतान को जन्म देने के लिए छुट्टी पर जाएं। उन्होंने कहा कि प्रसव के दौरान में सक्रिय नहीं रहूंगी। इससे सरकारी काम-काज में बाधाएं आएंगी। इसलिए, गैर संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति पर दबाव डाला गया कि मेरी सरकार को बर्खास्त कर एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाए, जब तक कि चुनाव ना हो जाएं।"

राजनीति में दांव और वक्त का बहुत महत्व
किताब में कहा गया है कि बेनजीर ने विपक्ष की मांग को ठुकराते हुए अपने पिता के कार्यकाल के उस फैसले की नजीर दी, जिसमें कहा गया था कि कामकाजी महिलाओं के लिए प्रसव के दौरान छुट्टी की व्यवस्था है। बेनजीर ने उसी नियम के तहत खुद को एक सरकारी कर्मी बताते हुए अपने पर भी उस नियम के लागू होने का हवाला दिया लेकिन विपक्ष ने हड़ताल पर जाने की धमकी दे दी। पिता की शिक्षा और कूटनीति पर चलने वाली बेनजीर जानती थीं कि राजनीति में दांव और वक्त का बहुत महत्व होता है।

आनन-फानन में करवाई डिलीवरी
इसलिए, उन्होंने अपने डॉक्टर से बात कर आनन-फानन में डिलीवरी कराने का फैसला कर लिया। बेनजीर लिखती हैं, गर्भावस्था के अंतिम चरण में होने के बावजूद मैंने शायद किसी मर्द प्रधानमंत्री से भी ज्यादा काम निपटाया। उसी दिन पार्टी सांसदों के साथ एक मीटिंग की और फिर कराची के लिए निकल पड़ी। अगली सुबह मैं बहुत जल्दी उठ गई और अपनी एक सहेली के साथ, उसकी कार में बैठकर निकल गई। वह एक छोटी कार थी, इसलिए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उनका ध्यान हमारे घर पर आने वाली गाड़ियों पर था।  जब, मैं लेडी डफरिन हॉस्पिटल पहुंची, तो डॉक्टर वहां मेरा इंतजार कर रहे थे। उसी दिन, 25 जनवरी, 1990 को मैंने अपनी पहली बेटी और दूसरी संतान बख्तावर को जन्म दिया।"

नहीं रोक पाईं विरोधियों की साजिश
हालांकि, बेनजीर की यह योजना विरोधियों की साजिश को लंबे समय तक रोक पाने में नाकाम रही। 7 अगस्त, 1990 को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने संविधान और कानून का उल्लंघन करने, भ्रष्टाचार करने और भाई-भतीजावाद के आरोप में बेनजीर भुट्टो की सरकार को दो साल से भी पहले ही बर्खास्त कर दिया और बेनजीर की पार्टी के ही एक पूर्व सदस्य गुलाम मुस्तफा जटोई की अगुवाई में कार्यवाहक सरकार का गठन करा दिया। इसके कुछ ही घंटों बाद राष्ट्रपति खान ने 'बाहरी आक्रमण और आंतरिक गड़बड़ी से पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरा' बताते हुए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। 

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