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जापान भारत को देगा 75 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता, जानें- इससे क्या मिलेगा फायदा; कहां होगा खर्च?

Japan PM Fumio Kishida Visit: जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने भारत यात्रा के दौरान इंडो-पैसिफिक रीजन के लिए 75 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा सहायता की घोषणा की है।

जापान भारत को देगा 75 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता, जानें- इससे क्या मिलेगा फायदा; कहां होगा खर्च?
Pramod Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 21 Mar 2023 10:25 AM
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Japan PM Fumio Kishida Visit:  भारत एवं जापान ने वैश्विक उथल-पुथल के बीच दुनिया में टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना एवं स्थायित्व के लिए आर्थिक और तकनीकी सहयोग बढ़ाने के इरादे के साथ आपसी सहयोग के आठ करार दस्तावेजों पर सोमवार को हस्ताक्षर किए। 

जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने भारत यात्रा के दौरान इंडो-पैसिफिक रीजन के लिए 75 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा सहायता की घोषणा की है। निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, किशिदा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के बाद थिंक टैंक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। 

इससे पहले किशिदा ने पीएम मोदी को  हिरोशिमा में मई में आयोजित हो रहे जी-7 समूह के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया। पीएम मोदी ने भी सितंबर में जी-20 के शिखर सम्मेलन में किशिदा की पुनः मेजबानी करने की अपेक्षा  की। 

निक्केई एशिया के अनुसार, किशिदा ने "मुक्त और खुले भारत-प्रशांत" के लिए अपनी दृष्टि को रेखांकित किया है। उन्होंने पूर्व जापानी प्रधानमंत्री दिवंगत शिंजो आबे को इस सहायता का श्रेय दिया। जापान द्वारा घोषित 75 अरब डॉलर की सहायता राशि निजी क्षेत्र के साथ मिलकर 2030 तक उपलब्ध कराई जाएगी। 

मोदी ने कहा, "भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी हमारे साझा लोकतान्त्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय पटल पर कानून के शासन के सम्मान पर आधारित है। इस साझेदारी को मजबूत बनाना, हमारे दोनों देशों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इससे हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शान्ति, समृद्धि और स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है। आज हमारी बातचीत में, हमने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।"

जापानी सहायता राशि कहां होगी खर्च:

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, "दोनों देशों ने रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग, व्यापार, स्वास्थ्य, और डिजिटल साझीदारी पर विचारों का आदान-प्रदान किया। सेमीकन्डक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में विश्वस्त आपूर्ति श्रृंखला के महत्व पर भी हमारे बीच सार्थक चर्चा हुई।" उन्होंने कहा, "पिछले साल हमने अगले पांच वर्षों में भारत में पांच ट्रिलियन येन, यानी तीन लाख 29 हजार करोड़ रुपए, के जापानी निवेश का लक्ष्य तय किया था। यह संतोष का विषय है कि इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है।"

उन्होंने कहा, "वर्ष 2019 में हमने भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मक साझेदारी की स्थापना की थी। इसके अंतर्गत हम हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, लघु एवं मध्यम उद्योग, कपड़ा उद्योग, मशीनरी और इस्पात जैसे क्षेत्रों में भारतीय इंडस्ट्री की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ा रहे हैं। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल पर भी हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।" PM ने कहा, "मुझे इस बात की भी खुशी है कि हम 2023 को टूरिज्म एक्सचेंज वर्ष के रूप में मना रहे हैं, और इसके लिए हमने 'हिमालय एवं मांउट फूजी संपर्क' नाम का थीम चुना है।"

श्री मोदी ने कहा, "आज प्रधानमंत्री किशिदा ने मुझे मई महीने में हिरोशिमा मे होने वाली जी 7 लीडर्स समिट के लिए निमंत्रण दिया। इसके लिए मैं उनका हृदय से धन्यवाद करता हूँ। इसके कुछ महीनों बाद सितम्बर में जी 20 लीडर्स समिट के लिए मुझे प्रधानमंत्री किशिदा का फिर से भारत में स्वागत करने का अवसर मिलेगा। हमारी कामना है कि बातचीत और संपर्कों का यह सिलसिला इसी प्रकार चलता रहे, और भारत-जापान संबंध लगातार नई ऊंचाइयों को छूते रहें। 

किशिदा की यात्रा के मायने
किशिदा की भारत की दो दिवसीय यात्रा न केवल यूरोप में युद्ध की पृष्ठभूमि के खिलाफ है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव की चिंता से भी जुड़ा है। निक्केई एशिया के अनुसार, इसमें बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत प्रमुख बुनियादी ढांचा निवेश भी शामिल है। इसके अलावा श्रीलंका जैसे वैश्विक दक्षिण देशों में विकास को बढ़ावा देने का मुद्दा भी जुड़ा है।

जापानी प्रधान मंत्री ने इस वर्ष भारत की अध्यक्षता में जी-20 समूह के लक्ष्यों के अनुरूप "क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट" को आगे बढ़ाने का आह्वान किया है। प्रधान मंत्री ने प्रस्तावित सहायता के हिस्से के रूप में समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के सशस्त्र बलों को मुफ्त सुरक्षा सहायता की भी पेशकश की है।

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