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बहुत उम्मीदों से जुटे थे 57 मुसलमान देश, पर आपस में भिड़े; इजरायल के बचाव में आए 3 देश

इस्लामिक सहयोग संगठन के 57 देशों की मीटिंग बहुत उम्मीदों के साथ सऊदी अरब के जेद्दाह में बुलाई गई थी। लेकिन इसमें इजरायल के खिलाफ किसी प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई। इजरायल के बचाव में 3 देश दिखे।

बहुत उम्मीदों से जुटे थे 57 मुसलमान देश, पर आपस में भिड़े; इजरायल के बचाव में आए 3 देश
Surya Prakashलाइव हिन्दुस्तान,जेद्दाहMon, 13 Nov 2023 12:52 PM
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सऊदी अरब के जेद्दाह में वीकेंड पर दुनिया के 57 इस्लामिक देशों की मीटिंग हुई थी। यह मीटिंग गाजा में जारी इजरायली हमलों को लेकर बुलाई गई थी, जिसमें पाकिस्तान, तुर्की समेत कई देशों ने खुलकर सीजफायर की मांग की। वहीं अल्जीरिया और लेबनान जैसे कई देशों ने इजरायल के लिए तेल की सप्लाई ही रोकने का प्रस्ताव दिया। लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी। इस प्रस्ताव को यूएई और बहरीन समेत तीन देशों ने रोक दिया। इस तरह इजरायल पर किसी ठोस ऐक्शन पर सहमति इस्लामिक देश नहीं बना सके। अंत में गाजा पर इजरायली हमले गलत हैं और उसका यह कहना ठीक नहीं कि वह आत्मरक्षा में हमले कर रहा है ऐसे रस्मी बयान के साथ बैठक खत्म हुई।

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अरब लीग और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन की मीटिंग में इस बात पर चर्चा हुई कि इजरायल के हमले यदि जारी रहे तो फिर दूसरे देशों पर भी असर होगा। इस युद्ध ने मध्य पूर्व के देशों में गुस्सा पैदा किया है और अब तक 12 हजार के करीब फिलिस्तीनी लोग मार गए हैं। इस मौके पर सबसे मुखर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी दिखे। उन्होंने कहा कि इस्लामिक देशों को इजरायल की सेना को आतंकी संगठन घोषित करना चाहिए। लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बनी।

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OIC की बैठक में शामिल सूत्रों ने एएफपी से बातचीत में कहा कि यह मीटिंग ऐसी थी, जैसे क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग गुट जुटे हों। अल्जीरिया और लेबनान ने मांग की कि जिस तरह इजरायल लगातार गाजा पर हमले कर रहा है, उसे रोकने के लिए तेल की सप्लाई बंद कर देनी चाहिए। इसके अलावा अरब देशों को उससे अपने आर्थिक और कूटनीतिक संबंध खत्म करने चाहिए। इस पर यूएई और बहरीन समेत तीन देशों ने ऐतराज जताया और यह प्रस्ताव खारिज हो गया। बता दें कि बहरीन और यूएई ने 2020 में इजरायल के साथ संबंध सामान्य किए थे। इनके बीच अब्राहम अकॉर्ड पर समझौते भी हुए थे। 

लगता है यह दंतहीन संगठन हो गया; सीरिया के राष्ट्रपति की दोटूक

इस मीटिंग से ठीक पहले हमास ने मीटिंग में शामिल लोगों से मांग की थी कि वे इजरायली दूतावासों को अपने देशों से बाहर करें। इस पर भी मीटिंग में कोई बात नहीं हुई। इस पर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद भड़के दिखे। उन्होंने कहा कि यह मीटिंग जिस तरह से हुई है, उससे ऐसा लगता है कि यह दंतहीन है। इस संगठन ने कोई ताकतवर प्रस्ताव नहीं रखा। उन्होंने साफ कहा कि यदि हम कोई ठोस ऐक्शन ही नहीं लेंगे तो फिर बातों का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी मध्य पूर्व के देश को इजरायल के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए।

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