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राजनाथ के बयान से ऐसे बिलबिलाया ड्रैगन, चीन ने कबूला गलवान घाटी का वह सच, जो अब तक छुपाता फिर रहा था

सीमा पर जारी तनाव के बीच 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय सेना के पराकर्म के आगे चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी पस्त हो गई थी, इसका सबूत खुद चीन ने दे दिया है। करीब तीन महीने बाद आखिरकार चीन...

 Global Times editore Hu Xijin reacts on Chinese casualties in border clash in Galwan Valley
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 Global Times editore Hu Xijin reacts on Chinese casualties in border clash in Galwan Valley
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लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 18 Sep 2020 12:37 PM
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सीमा पर जारी तनाव के बीच 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय सेना के पराकर्म के आगे चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी पस्त हो गई थी, इसका सबूत खुद चीन ने दे दिया है। करीब तीन महीने बाद आखिरकार चीन ने माना है कि गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में ड्रैगन की सेना के सौनिकों की भी मौतें हुई थीं। अमेरिकी अखबार न्यूजवीक ने पिछले दिनों दावा किया था कि चीन के 60 सैनिकों की मौत हुई थी, मगर अब तक चीन का औपचारिक तौर पर कबूलनामा नहीं आया था। मगर, राजनाथ सिंह के एक बयान के बाद ही चीन के मुखपत्र ने गलवान घाटी का सच उगल दिया और उसने माना है कि भारतीय सेना के शौर्य के आगे ड्रैगन की सेना बेदम साबित हुई थी। 

दरअसल, चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स के एडिटर ने माना है कि गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के दौरान चीन को नुकसान पहुंचा था और उसके भी कुछ जवानों की मौतें हुई थीं। बता दें कि ग्लोबल टाइम्स चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र है। ग्लोबल टाइम्स के एडिटर ने न सिर्फ ट्वीट किया है, बल्कि अखबार में छापा भी है।

चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एडिटर इन चीफ हू झिजिन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान को ट्वीट किया है और इसे फेक बताया है। एडिटर हू ने अपने ट्वीट में लिखा, 'जहां तक मुझे पता है कि गलवान घाटी की झड़प में चीनी सेना में मरने वालों की संख्या भारत के 20 की तुलना में कम थी। उस दिन किसी भी चीनी सैनिक को भारत ने बंदी नहीं बनाया था, बल्कि चीन ने ही भारत के सैनिकों को बंदी बनाया था।'

ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू के इस ट्वीट से चीन का वह सच सामने आ गया, जो 15 जून के बाद से ही दुनिया से छुपा रहा था। जब गुरुवार को राज्यसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गलवान घाटी में चीन को भारी नुकसान पहुंचा था तो चीन झल्ला गया और उसके मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एडिटर ने ट्वीट कर संख्या बताने के चक्कर में अपना काला सच बता बैठा। इतना ही नहीं, ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में भी इस बात को छापा है। 

बता दें कि 15 जून को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी। 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

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