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FATF मीटिंग: फिर जागा चीन का 'आतंक' प्रेम, टेरर फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान को सराहा

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाले संगठन एफएटीएफ की मेजबानी कर रहे चीन ने गुरुवार (23 जनवरी) को कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की वित्तीय प्रणाली से मुकाबला करने के लिए उल्लेखनीय...

FATF मीटिंग: फिर जागा चीन का 'आतंक' प्रेम, टेरर फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान को सराहा
भाषा,बीजिंगThu, 23 Jan 2020 07:11 PM
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अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाले संगठन एफएटीएफ की मेजबानी कर रहे चीन ने गुरुवार (23 जनवरी) को कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की वित्तीय प्रणाली से मुकाबला करने के लिए उल्लेखनीय प्रगति की है और विश्व समुदाय द्वारा उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। पेरिस से संचालित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) एशिया प्रशांत संयुक्त समूह की बैठक इस हफ्ते बीजिंग में हो रही है। इसका उद्देश्य आतंकवाद के वित्तपोषण और धनशोधन के खिलाफ सख्त कानून को लागू करने को लेकर पाकिस्तान की ओर से जमा प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करना है। चीन एफएटीएफ का अध्यक्ष और एशिया प्रशांत संयुक्त समूह का सह अध्यक्ष है।

एफएटीएफ की सिफारिशों पर इस्लामाबाद की कार्रवाइयों की जानकारी देने बीजिंग आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर कर रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से बीजिंग में जब मीडिया ने पूछा कि वह पाकिस्तान की प्रगति को कैसे देखते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि उनके पास एफएटीएफ की चल रही बैठक की जानकारी नहीं है, लेकिन साथ ही पाकिस्तान के प्रयास की सराहना की।

गेंग ने कहा, ''पाकिस्तान ने घरेलू स्तर पर आतंकवाद की वित्तपोषण प्रणाली के खिलाफ उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। उसकी राजनीतिक इच्छाशक्ति और कोशिश को विश्व बिरादरी द्वारा मान्यता और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, ''हम उम्मीद करते हैं कि आतंकवाद की वित्तपोषण प्रणाली का मुकाबला करने और आतंकवादियों के वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई में एफएटीएफ पाकिस्तान को सृजनात्मक सहायोग और सहायता देना जारी रखेगा।" गेंग ने कहा, ''एफएटीएफ अध्यक्ष और एशिया-प्रशांत संयुक्त समूह के सह अध्यक्ष के नाते चीन निरपेक्ष, न्यायोचित और सृजनात्मक रवैये को जारी रखेगा और प्रासंगिक चर्चा में हिस्सा लेगा।"

उल्लेखनीय है कि पिछले साल एफएटीएफ ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य संगठनों के वित्तपोषण को रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को ग्रे सूची में कायम रखने का फैसला किया था। अगर पाकिस्तान अप्रैल 2020 तक ग्रे सूची से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हुआ तो काली सूची में जा सकता है जिसके बाद ईरान की तरह उसे आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

पाकिस्तान ने आठ जनवरी को 650 पन्नों की रिपोर्ट एफएटीएफ को सौंपी जिसमें कार्यबल की ओर से धनशोधन से जुड़़ी उसकी नई नीति को लेकर उठाए गए 150 सवालों के जवाब दिए गए हैं। एफएटीएफ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त है और उसके द्वारा पारित प्रस्ताव का अनुपालन बाध्यकारी है। प्रस्ताव नहीं मानने पर संबंधित देश को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

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