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फ्रांस की ईरान से यूरेनियम भंडारण कम करने की अपील, तनाव के लिए चीन ने अमेरिका को लिया आड़े हाथ

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने मंगलवार को ईरान से यूरेनियन संवर्धन भंडारण को तत्काल कम करने की अपील की है। उधर, चीन ने ईरान के फैसले पर अफसोस जताया है। दरअसल, ईरान ने सोमवार को अमेरिकी...

फ्रांस की ईरान से यूरेनियम भंडारण कम करने की अपील, तनाव के लिए चीन ने अमेरिका को लिया आड़े हाथ
एजेंसी,पेरिसWed, 03 Jul 2019 01:20 AM
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फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने मंगलवार को ईरान से यूरेनियन संवर्धन भंडारण को तत्काल कम करने की अपील की है। उधर, चीन ने ईरान के फैसले पर अफसोस जताया है। दरअसल, ईरान ने सोमवार को अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में 2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत तय सीमा को तोड़ने का ऐलान किया था।

मैक्रॉन ने एक बयान में कहा कि उन्होंने 2015 के करार में तय सीमा को लांघने के तेहरान के फैसले की चिंताओं को विश्व शक्तियों से साझा किया और ईरान से अपील की कि वह यूरेनियम संवर्धन की सीमा को पार नहीं करे और ऐसा कुछ भी न करे जो परमाणु करार के तहत उसके दायित्वों को कमतर करता हो।

फ्रांसीसी नेता ने कहा कि वह अमेरिका और ईरान के बीच गतिरोध का समाधान निकालने के लिए काम करते रहेंगे, जिसमें तेहरान अपने दायित्वों का पूरा सम्मान करे तथा 2015 के समझौते के तहत उसे आर्थिक लाभ भी मिले। सोमवार को ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ ने कहा कि ईरान ने अब अपने यूरेनियम संवर्धन की सीमा को बढ़ाया है।

वहीं चीन ने भी ईरान के यूनेरियम संवर्धन भंडारण बढ़ाने पर अफसोस जाहिर किया है, लेकिन तनाव के लिए अमेरिका के अधिकतम दबाव को जिम्मेदार बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन ईरान द्वारा उठाए गए कदम पर अफसोस जताता है लेकिन हमने कई मौकों पर कहा है कि मौजूदा तनाव के लिए अमेरिका का अधिकतम तनाव जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि हम सभी पक्षों से इसे दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण से देखने का आह्वान करते हैं। साथ में अपील करते हैं कि सयंम बरतें तथा परमाणु करार को मिलकर बरकरार रखें ताकि तनावपूर्ण स्थिति में इजाफा नहीं हो।

गौरतलब है कि अमेरिका 2015 में ईरान तथा विश्व शक्तियों के बीच हुए करार से अलग हो गया है। ईरान ने धमकी दी है कि वह करार में अपनी आगे की प्रतिबद्धताओं को तब तक पूरा नहीं करेगा जब तक करार के अन्य पक्ष-- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस-- उसकी प्रतिबंधों को नाकाम करने में मदद नहीं करते हैं, खासकर तेल बेचने में।

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