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श्रीलंका में आपातकाल, हमले के पीछे कट्टर मुस्लिम समूह 'नेशनल तौहीद जमात' का हाथ

श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए धमाकों के आलोक में सोमवार की आधी रात से आपातकाल लगा दिया गया, जिससे सुरक्षाबलों की आतंकवाद निरोधक शक्तियां बढ़ गई। सोमवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की...

श्रीलंका में आपातकाल, हमले के पीछे कट्टर मुस्लिम समूह 'नेशनल तौहीद जमात' का हाथ
एजेंसी,कोलंबोTue, 23 Apr 2019 02:38 AM
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श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए धमाकों के आलोक में सोमवार की आधी रात से आपातकाल लगा दिया गया, जिससे सुरक्षाबलों की आतंकवाद निरोधक शक्तियां बढ़ गई। सोमवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की एक बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था।

राष्ट्रपति की मीडिया इकाई के बयान के अनुसार एनएससी ने आधीरात से सशर्त आपातकाल लगाने का निर्णय लिया था। बयान के अनुसार यह उपाय आतंकवाद को निशाना बनाने के लिए उठाया गया है, इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित नहीं होगी। सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय शोक दिवस की घोषणा की है।

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श्रीलंका में फिर कर्फ्यू
श्रीलंका में रविवार को हुए कई आत्मघाती बम धमाकों के बाद देश ने सोमवार को रात में कर्फ्यू लगाने का नया आदेश जारी किया है। रविवार को हुए धमाकों में 290 लोगों की मौत हुई है 500 लोग घायल हुए हैं। सोमवार सुबह अधिकारियों ने पहले से लागू कर्फ्यू को हटा दिया था, जिसके कुछ घंटे बाद फिर से कर्फ्यू लगाने का फैसला किया गया है। सरकार के सूचना विभाग ने बताया, ''आज सुबह छह बजे पुलिस कर्फ्यू हटा लिया गया था, लेकिन सोमवार रात आठ बजे से इसे फिर से लागू कर दिया जायेगा जो अगले दिन सुबह चार बजे तक जारी रहेगा।"

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जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने दो अन्य जगहों पर विस्फोटों के साथ तीन लक्जरी होटलों और तीन चर्चों में विस्फोटों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है। समाचार पत्र डेली मिरर के अनुसार, समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विजित माललगोडा शामिल हैं।राष्ट्रपति ने समिति को विस्फोटों से संबंधित सभी मामलों की जांच करने, इसकी पृष्ठभूमि और अन्य तथ्यों की जांच करने के और दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

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सभी आत्मघाती हमलावर श्रीलंकाई
श्रीलंका के इतिहास में हुई सबसे बड़ी आतंकवादी घटना के पीछे नेशनल तौहीद जमात नाम के स्थानीय संगठन का हाथ था। श्रीलंका के एक शीर्ष मंत्री ने सोमवार को यह जानकारी दी। ईस्टर के मौके पर हुए इस घातक हमले में 290 लोगों की मौत हो गई थी और 500 अन्य घायल हो गए थे।

स्वास्थ्य मंत्री एवं सरकारी प्रवक्ता रजीत सेनारत्ने ने भी कहा कि विस्फोट में शामिल सभी आत्मघाती हमलावर श्रीलंकाई नागरिक मालूम हो रहे हैं। यहां संवाददाता सम्मेलन में मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय इंटेलिजेंस एजेंसी के प्रमुख ने 11 अप्रैल से पहले इन हमलों की आशंका को लेकर पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) को आगाह किया था।

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सेनारत्ने ने कहा, “चार अप्रैल को, अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों ने इन हमलों को लेकर आगाह किया था। आईजीपी को नौ अप्रैल को सूचित किया गया था।”उन्होंने कहा कि कट्टर मुस्लिम समूह -नेशनल तौहीद जमात नाम के स्थानीय संगठन को इन घातक विस्फोटों को अंजाम देने के पीछे माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जुड़े हुए हों।

सेनारत्ने ने सुरक्षा में हुई इस बड़ी चूक के लिए पुलिस प्रमुख पुजीत जयासुंदरा का इस्तीफा मांगा है। सरकार के एक मंत्री एवं मुख्य मुस्लिम पार्टी - श्रीलंकन मुस्लिम कांग्रेस के नेता रॉफ हकीम ने कहा कि यह निराशाजनक है कि इस तरह की जानकारी के बावजूद कोई सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए। 

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