Earthquake Update: भरभराकर गिरी इमारतों में जिंदगी की तलाश जारी, कोई मलबे में कितने दिन रह सकता है जिंदा
एक ओर जहां हजारों ने अपनी जान गंवा दी। वहीं, कड़कड़ाती ठंड के बीच लोग बेघर भी हो गए हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो शायद आज भी मलबे में हैं और मदद का हाथ मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
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मरने वालों की गिनती जारी है। हजारों इमारतें जमींदोज हो गईं। अस्पतालों में घायलों का इलाज हो रहा है। तुर्की और सीरिया में सोमवार सुबह के बाद से ही यही हाल हैं। कहा जा रहा है कि 7.8 तीव्रता का भूकंप झेलने के बाद कई इलाके मैदान हो गए हैं। सामने आई तस्वीरों में मलबा और बचावकर्मी ही नजर आ रहे हैं।
भूकंप के चलते एक ओर जहां हजारों ने अपनी जान गंवा दी। वहीं, कड़कड़ाती ठंड के बीच लोग बेघर भी हो गए हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो शायद आज भी मलबे में हैं और मदद का हाथ मिलने का इंतजार कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि तुर्की और सीरिया को मिलाकर 4300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। जबकि, घायलों की संख्या 16 हजार के पार है। घटना में 5 हजार से ज्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा है। फिलहाल लापता लोगों की तलाश जारी है।
कितने समय तक मलबे में जिंदा रह सकता है कोई?
जानकार बताते हैं कि अगर हालात बेहतर हुए ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह तक कोई जिंदा रह सकता है। इसके अलावा जिंदा रहना इस पर भी निर्भर करता है कि कोई मलबे में किस तरह से दबा है। अगर उसके पास सांस लेने के लिए पर्याप्त जगह है, तो स्थिति अलग हो सकती है। आपदा होने के 24 घंटों के बाद ही बड़े स्तर पर बचाव कार्य होता है। इसके बाद हर दिन बचने की गुंजाइश घटने लगती है। इसके अलावा पानी और भोजन भी एक बड़ी वजह है।
कहा जाता है कि जिंदा रहने में तापमान भी एक बड़ी भूमिका निभाता है। अगर इलाका गर्म है, तो पानी जल्दी खत्म होगा। साथ ही अगर मलबे में दबे हुए व्यक्ति के शरीर का कोई अंग किसी भारी चीज से दबा हुआ है, तो भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसे में शख्स को तत्काल मेडिकल सहयोग की जरूरत होगी।
कुछ उदाहरण
साल 1995 में जब दक्षिण कोरिया में एक कॉम्प्लैक्स ढहा था, तो 502 लोगों की मौत हो गई थी। उस घटना में 10 दिनों तक मलबे में दबे रहने के बाद चोई म्योंग सोक जिंदा बच गए थे। जबकि, उनके दो साथियों की शुरुआती दिनों में ही मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोक ने जिंदा रहने के लिए बारिश का पानी पिया और कार्डबोर्ड का डिब्बा खाया। साथ ही वह इच्छा जगाए रखने के लिए बच्चे के खिलौने से खेलते रहे।
कश्मीर के 2005 के भूकंप के बाद 40 साल की नक्शा बीबी को उनके किचन से दो महीनों के बाद बचाया गया था। 2010 के हैती भूकंप में 27 दिनों के बाद एक शख्स को बचाया गया थ। बांग्लादेश में साल 2013 में एक ओर जहां आपदा में 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। वहीं, रेशमा बेगम को 17 दिनों के बाद मलबे से जिंदा बचाया गया था।