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कोरोना वैक्सीन बनाने में जर्मनी की कंपनी क्योरवैक थोड़ी ही दूर, मानव परीक्षण को मिली अनुमति

चांसलर एंजेला मर्केल की सरकार से समर्थन हासिल करने के कुछ ही दिनों बाद जर्मनी की 'क्योरवैक' कंपनी ने कोरोना वायरस वैक्सीन का मानव पर परीक्षण शुरू करने के लिए अनुमति प्राप्त कर ली है। यह...

 कोरोना वैक्सीन बनाने में जर्मनी की कंपनी क्योरवैक थोड़ी ही दूर, मानव परीक्षण को मिली अनुमति
एजेंसी,बर्लिनThu, 18 Jun 2020 06:59 AM
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चांसलर एंजेला मर्केल की सरकार से समर्थन हासिल करने के कुछ ही दिनों बाद जर्मनी की 'क्योरवैक' कंपनी ने कोरोना वायरस वैक्सीन का मानव पर परीक्षण शुरू करने के लिए अनुमति प्राप्त कर ली है। यह जानकारी पॉल-एर्लिच-इंस्टीट्यूट (पीईआई) ने दी। 

पीईआई के मुताबिक, नियामकों ने कंपनी को 168 स्वस्थ लोगों पर पहले चरण के परीक्षण करने के लिए हरी झंडी दिखाई। क्योरवैक कोरोना वायरस वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण के लिए अनुमति प्राप्त करने वाली दूसरी जर्मन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बन गई है। यह कंपनी कोविड-19 का टीका बनाने की दौड़ में अमेरिका की मॉडर्ना कंपनी से थोड़ी ही दूर है। 

क्योरवैक में निवेश की घोषणा 
जर्मनी के फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स एंड एनर्जी ने अपनी पाइपलाइन में कंपनी और परियोजनाओं के विकास का समर्थन करने के लिए क्योरवैक में 300 मिलियन यूरो (25,67,58,10,125 रुपये) का निवेश करने की घोषणा की। आर्थिक मामलों के मंत्री और ऊर्जा मंत्री पीटर अल्तमईर ने कहा, क्योरवैक की तकनीक में विघटनकारी नए टीके और चिकित्सीय तौर-तरीके विकसित करने की क्षमता है, जो कई लोगों के लिए सुलभ हैं और बाजार में से उपलब्ध हैं। 

‘डेक्सामीथासोन’ कोरोना के इलाज में कारगर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयूसस ने बुधवार को बताया कि ‘डेक्सामीथासोन’ नाम का स्टेरॉयड कारोना के इलाज में कारगर साबित हुआ है। इससे गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों में मौत का खतरा एक-तिहाई तक कम करने में मदद मिली है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना से संक्रमित मरीजों पर ‘डेक्सामीथासोन’ का असर आंका था। उन्होंने 2104 मरीजों को ‘डेक्सामीथासोन’ की खुराक दी थी। इसके बाद उनकी सेहत की तुलना सामान्य देखरेख पाने वाले 4321 अन्य संक्रमितों से की। 

इस दौरान वेंटिलेटर पर रखे गए उन मरीजों में मौत का खतरा 35 फीसदी कम मिला, जिन्हें ‘डेक्सामीथासोन’ दिया जा रहा था। वहीं, ऐसे मरीज जिन्हें कृत्रिम ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही थी, उनमें यह स्टेरॉयड मौत का खतरा 20 प्रतिशत तक घटाने में मददगार मिला। साधारण रूप से संक्रमित मरीजों पर ‘डेक्सामीथासोन’ का कुछ खास प्रभाव नहीं दिखा।

इस बीच, कई अस्पतालों ने अब मरीजों को मिथाइल प्रेडिनीसोलोन की जगह  ‘डेक्सामीथासोन’ देना शुरू कर दिया है।  टैबलेट और इंजेक्शन, दोनों ही रूप में उपलब्ध यह स्टेरॉयड मरीजों को सिर्फ चार से आठ एमजी मात्रा में ही देनी होगी। यह दवा मिथाइल प्रेडिनीसोलोन की तुलना में काफी सस्ती भी है।

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