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सांवले लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं पढ़ पाता ऑक्सीमीटर? अमेरिका की चेतावनी

कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई और स्वास्थ्य कर्मियों के एक जरूरी उपकरण पल्स ऑक्सीमीटर्स को लेकर एक चौकाने वाला दावा सामने आया है। पल्स ऑक्सीमीटर्स का उपयोग शरीर में ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाने...

सांवले लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं पढ़ पाता ऑक्सीमीटर? अमेरिका की चेतावनी
हिन्दुस्तान टाइम्स संवाददाता,नई दिल्लीSun, 21 Feb 2021 05:16 PM
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कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई और स्वास्थ्य कर्मियों के एक जरूरी उपकरण पल्स ऑक्सीमीटर्स को लेकर एक चौकाने वाला दावा सामने आया है। पल्स ऑक्सीमीटर्स का उपयोग शरीर में ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है। दिल्ली में केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऑक्सीजन स्तर की जांच करने के लिए कोरोना रोगियों को घर पर ही उपलब्ध कराया था। सरकार ने हजारों ऑक्सीमीटर कोरोना रोगियों को बांटे थे। लेकिन अब जो दावा सामने आया है वो सभी को हैरान कर देगा और यह दावा अमेरिका ने किया है।

यूएस फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार रक्त में ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करने वाला हल्का उपकरण सांवले (डार्क) स्कीन वालों के लिए दिक्कत खड़ी कर सकते हैं। अमेरिकी विभाग ने दावा किया है कि डार्क स्कीन वाले लोगों का ऑक्सीजन स्तर नापने के दौरान ऑक्सीमीटर गलत परिणाम दे सकते है। हालांकि, अमेरिका की यह संघीय एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि ऑक्सीमीटर्स रक्त में ऑक्सीजन की माप के लिए उपयोगी है। पल्स ऑक्सीमीटर्स की कुछ लिमिटेशन हैं और यह कुछ परिस्थितियों में जोखिम भी सकता है।

संघीय एजेंसी ने कहा कि ऐसा सामने आया है कि कई फैक्टर ऑक्सीमीटर रिडिंग की सटीकता को प्रभावित कर सकते हैं। जिसमें स्किन पिगमेंटेशन, स्किन थिकनेस, स्किन का तापमान, तंबाकू का उपयोग और यहा तक नेल पॉजिश शामिल हैं। एफडीए ने अपने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस जैसे मरीज जो कि घर में अपनी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं उनकी अपनी अपनी स्थिति के सभी संकेतों और लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी तरह की परेशानी होने पर बात करनी चाहिए।

एजेंसी ने सलाह दी है कि रोगियों को अपने चेहरे, होठों या नाखूनों के रंग, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और पल्स रेट पर ध्यान देने की जरूरत है। एंजेसी ने आगे कहा कि कम ऑक्सीजन स्तर वाले कुछ रोगियों में ये सभी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में इसकी पहचान केवल डॉक्टर ही कर सकता है।

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