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काम की नहीं है चीनी वैक्सीन? सेशल्स में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन, फिर भी कोरोना मामले हो गए डबल

साल 2019 के अंत में चीन से शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। चीन, भारत, अमेरिका समेत विभिन्न देशों ने अपनी-अपनी वैक्सीन्स तैयार कर ली हैं,...

काम की नहीं है चीनी वैक्सीन? सेशल्स में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन, फिर भी कोरोना मामले हो गए डबल
ब्लूमबर्गTue, 11 May 2021 07:31 PM
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साल 2019 के अंत में चीन से शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। चीन, भारत, अमेरिका समेत विभिन्न देशों ने अपनी-अपनी वैक्सीन्स तैयार कर ली हैं, जिसका इस्तेमाल तेजी से हो रहा है। हालांकि, सभी वैक्सीन्स में जिस एक देश के टीके पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े होते रहे हैं, वह चीन में निर्मित वैक्सीन सिनोफार्म है। पूर्वी अफ्रीका में स्थित सेशल्स देश ने चीनी वैक्सीन की मदद से अपनी ज्यादातर जनता का टीकाकरण कर दिया, लेकिन पिछले कुछ दिनों में तेजी से कोरोना के मामले बढ़ने लगे। सात मई वाले सप्ताह में सेशल्स में संक्रमण के मामलों की दर दोगुनी हो गई है। सेशल्स ने दुनियाभर के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक वैक्सीनेशन किया है।

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि टीके की विफलता को एक विस्तृत मूल्यांकन के बिना निर्धारित नहीं किया जा सकता है और वह स्थिति का मूल्यांकन करने पर काम कर रहा है। डब्ल्यूएचओ में प्रतिरक्षण, टीके और जैविक विभाग के निदेशक केट ओ' ब्रायन ने सोमवार को एक ब्रीफिंग में बताया कि संगठन सेशल्स के साथ सीधे बातचीत में है और हम वायरस के स्ट्रेन और मामलों की गंभीरता को लेकर जानकारी जुटा रहे हैं। वहीं, सेशल्स के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि पिछले हफ्ते से कोरोना के एक्टिव केस दोगुने हो गए हैं और बढ़कर 2486 पर पहुंच गए हैं। इसमें से 37 फीसदी ऐसे लोग हैं, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी है। वहीं, इसके अलावा मालदीव्स में भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी आई है।

सेशल्स में टीका लगवाने वाले लोगों में से 57 फीसदी को सिनोफार्म वैक्सीन लगाई गई थी, जबकि बाकी को कोविशील्ड टीका दिया गया। हालांकि, एक राहत देने वाली यह बात है कि आठ मई तक टीका लगवा चुके कोरोना के संपर्क में आने वाले किसी भी शख्स की मौत नहीं हुई है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पिछले हफ्ते से स्कूल, स्पोर्ट्स इवेंट समेत विभिन्न गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। डार्टमाउथ जिसेल स्कूल ऑफ मेडिसिन में दवा के प्रोफेसर डैनियल लूसी ने पिछले सप्ताह एक ब्लॉग में कहा कि अप्रैल में सेशल्स में संक्रमण वाला जेनेटिक सिक्वेंसिंग डेटा डेटा अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका है। उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण अफ्रीका में पिछले साल मिला B.1.351 वेरिएंट इस साल फरवरी महीने में सेशल्स में पाया गया था। 

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