Costa Rica Accepts Deported Illegal Immigrants from the US Including Citizens from India and Central Asia निर्वासित भारतीयों को स्वीकार करने के लिए तैयार कोस्टा रिका, International Hindi News - Hindustan
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निर्वासित भारतीयों को स्वीकार करने के लिए तैयार कोस्टा रिका

कोस्टा रिका ने अमेरिका से निर्वासित अवैध आप्रवासियों को स्वीकार करने की घोषणा की है। बुधवार को 200 नागरिक, जिनमें मध्य एशिया और भारत के लोग शामिल हैं, कोस्टा रिका पहुंचेंगे। यह निर्णय अमेरिका के साथ...

Admin हिन्दुस्तान, दिल्लीWed, 19 Feb 2025 07:36 PM
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निर्वासित भारतीयों को स्वीकार करने के लिए तैयार कोस्टा रिका

मध्य अमेरिकी देश कोस्टा रिका ने कहा कि वह अमेरिका से निर्वासित अवैध आप्रवासियों को स्वीकार करेगा.मध्य एशिया और भारत से दो सौ निर्वासित नागरिक बुधवार को वहां पहुंचने वाले हैं.कोस्टा रिका ने कहा कि वह अमेरिका से आने वाले अवैध आप्रवासियों को लेने के लिए तैयार है, जो अन्य देशों के नागरिक हैं.इससे पहले, पनामा और ग्वाटेमाला ने भी ऐसा करने की पेशकश की थी.कोस्टा रिका के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा, "कोस्टा रिका की सरकार ने अपने देश में 200 अवैध आप्रवासियों के डिपोर्टेशन में अमेरिका के साथ सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की" बयान में आगे कहा गया कि ये लोग "मध्य एशिया और भारत के नागरिक हैं"इस मामले पर टिप्पणी के अनुरोध पर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.यह अब तक पता नहीं चल पाया है कि कोस्टा रिका भेजे जाने वाले भारतीयों की संख्या या उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि हुई है या नहीं.कोस्टा रिका मध्य अमेरिका में तीसरा देश है, जिसने 20 जनवरी को वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका से निर्वासित प्रवासियों को वापस लेने के लिए सहयोग किया है.

कोस्टा रिका की योजना क्या है?बयान के मुताबिक एक वाणिज्यिक उड़ान में बुधवार को कोस्टा रिका में निर्वासित लोगों का पहला जत्था आएगा, जिसमें उन्हें पनामा के साथ सीमा के पास एक अस्थायी प्रवासी देखभाल केंद्र में ले जाया जाएगा.बयान में साफ किया गया है कि इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) की देखरेख में अमेरिकी सरकार द्वारा इस "प्रक्रिया में पूरी तरह से धन उपलब्ध कराया जाएगा"हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो लातिन अमेरिका की यात्रा के दौरान पनामा और ग्वाटेमाला ने भी इसी प्रकार की व्यवस्था पर सहमति जाहिर की थी.ग्वाटेमाला में अभी तक कोई प्रवासी नहीं पहुंचा है, लेकिन पिछले हफ्ते पनामा में चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देशों से 119 प्रवासी आए.अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में आप्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है.इस जनवरी में पद संभालने के बाद उन्होंने "लाखों-लाखों" आप्रवासियों को डिपोर्ट करने की शपथ ली थी.ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अब तक कुल 332 भारतीयों को डिपोर्ट किया जा चुका है.

हथकड़ी में जकड़े निर्वासितों की तस्वीरों से भारत में आक्रोश फैल गया और संसद में भी इस मुद्दे पर जमकर बवाल हुआ.हालांकि, पिछले सप्ताह ट्रंप के साथ बैठक के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आव्रजन के मुद्दे पर उनका पक्ष लिया था.मोदी ने अमेरिका में रह रहे हजारों अवैध आप्रवासियों को वापस लेने पर भी सहमति जताई थी.भारत में निर्वासन को लेकर राजनीतिक विवादअमेरिका ने 5 फरवरी से अब तक तीन सैन्य उड़ानों के जरिए कुल 332 भारतीयों को वापस भेजा है.पहली उड़ान से 104 लोगों को वापस लाने के बाद अधिकारियों ने कहा था कि अमेरिका लगभग 600 अवैध आप्रवासियों को भारत वापस भेजने की प्रक्रिया में है.जब 5 फरवरी को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़े भारतीय नागरिकों का पहला सैन्य विमान भारत पहुंचा तो देश में शोक और गुस्से की लहर दौड़ गई.विपक्षी दलों ने संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे को उठाया.

लेकिन इन उड़ानों को अमृतसर भेजने को लेकर एक और राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया.अवैध रूप से अमेरिका में घुस रहे भारतीयों की संख्या पांच गुना बढ़ीभगवंत मान: पंजाब को बदनाम करने की साजिशपंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीजेपी की केंद्र सरकार पर इन उड़ानों के लिए अमृतसर को उतरने के स्थान के रूप में चुनकर जानबूझकर पंजाब को "बदनाम" करने का आरोप लगाया.मान ने आरोप लगाया, "केंद्र सरकार हमेशा पंजाब के साथ भेदभाव करती है.वह पंजाब को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ती"हालांकि, बीजेपी ने मान के आरोपों को खारिज करते हुए उन पर राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे का फायदा उठाने का आरोप लगाया.बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "अमेरिका से भारत आने वाली उड़ानों के लिए अमृतसर निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है.यही कारण है कि अवैध आप्रवासियों को लेकर अमेरिकी विमान वहां उतर रहे हैं, और भगवंत मान, अपने अज्ञान के कारण इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना और षड्यंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देना बंद करें"एए/वीके (एपी, रॉयटर्स, एएफपी).

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