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भारत के हस्तक्षेप के बाद कोयले के इस्तेमाल घटाने के साथ जलवायु समझौते को मंजूरी

कोयले के इस्तेमाल को कम करने के लक्ष्यों के साथ ग्लास्गो जलवायु समझौते को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। शनिवार देश रात तक चली बैठक के बाद जलवायु वार्ता के अंतिम मसौदे को मंजूरी प्रदान की गई। इसमें सबसे...

भारत के हस्तक्षेप के बाद कोयले के इस्तेमाल घटाने के साथ जलवायु समझौते को मंजूरी
मदन जैड़ा ,ग्लासगोSun, 14 Nov 2021 02:46 PM
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कोयले के इस्तेमाल को कम करने के लक्ष्यों के साथ ग्लास्गो जलवायु समझौते को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। शनिवार देश रात तक चली बैठक के बाद जलवायु वार्ता के अंतिम मसौदे को मंजूरी प्रदान की गई। इसमें सबसे बड़ी बात यह रही है कि भारत ने विकासशील देशों का नेतृत्व करते हुए कोयले के इस्तेमाल को खत्म करने और जीवाश्म ईधन सबसिडी हटाने के प्रस्ताव का विरोध किया। काप ने अंतिम समय में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों को समझौते में शामिल किया गया।  

भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने तीसरे मसौदे पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विकासशील देश कैसे कोयले के इस्तेमाल को बंद कर सकते हैं, क्योंकि अभी उन्हें अभी बहुत विकास करना है। दूसरे, भारत जैसे देश के लिए जीवाश्म ईधन पर लक्षित सबसिडी को खत्म करना मुश्किल होगा जो गरीब लोगों को प्रदान की जा रही है ताकि वह प्रदूषण फैलाने वाले चूल्हे की बजाय स्वच्छ रसोई गैस का इस्तेमाल कर सकें। भारत ने इससे पूर्व इस मुद्दे पर चीन, यूरोप,अमेरिका और कई अन्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और इस मुद्दे को काप अध्यक्ष के समक्ष उठाया। 

स्विटरजलैंड समेत कई देशों ने कोयले के इस्तेमाल को खत्म करने के प्रस्ताव को जारी रखने की बात भी कही लेकिन अंतत भारत के रुख को आखिर में स्वीकार किया गया। इसलिए ग्लास्गो जलवायु समझौते में कोयले का इस्तेमाल बंद करने की बजाय कम करने की बात कही गई है। यह भारत और विकासशील देशों के लिए बड़ी उपलब्धि रही कि वे एक बाध्यकारी प्रावधान को लचीला बनाने में सफल रहे। समझौते में जीवाश्म ईधन पर सबसिडी खत्म करने का जिक्र नहीं है। यानी उस मुद्दे को भी हटा दिया गया है।  

ज्यादा कटौती और अधिक वित्त पर जोर 
जलवायु समझौते में दो और मुद्दों पर फोकस किया गया है। सभी देशों को अब पहले की तुलना में अपने उत्सर्जन में ज्यादा कटौती करनी होगी। जिन देशों ने नये लक्ष्य घोषित नहीं किए हैं, उन्हें एक साल के भीतर यह करना होगा। नेट जीरो को लेकर भी 2022 तक अपनी प्रतिबद्धताएं प्रकट करनी होंगी। इसके अलावा इस बात पर भी जोर दिया गया है कि विकसित देश 2021-25 तक प्रतिवर्ष 100 अरब डालर की राशि विकसित देश सुनिश्चित करें ताकि इसे गरीब एवं विकासशील देशों को प्रदान किया जा सके। 2025 के बाद इस राशि को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। हालांकि इसका जिक्र प्रस्ताव में नहीं है लेकिन काप अध्यक्ष आलोक शर्मा इसके लिए 500 अरब डालर की राशि के पक्ष में हैं। इसके अलावा लास एंड डेमेज  के लिए तंत्र विकसित करने और एडाप्टेशन फंड बढ़ाने पर भी जलवायु वार्ता में खास जोर दिया गया है। 

डेढ़ डिग्री पर सहमति 
समझौते में कहा गया है कि दुनिया के सभी देश सदी के आखिर तक तापमान बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री तक सीमित रखने पर सहमत हैं तथा उसके अनुरूप वे अपने उत्सर्जन में ज्यादा कटौती के लिए भी तैयार हैं। इसके लिए सभी देश 2030 के अपने लक्ष्यों को नये सिरे से निर्धारित करने को तैयार हैं। अनेक देश कर भी चुके हैं। 

एडाप्टेशन फंड 
समझौते में कहा गया है कि विकसित देश एडाप्टेशन फंड को 2025 तक दोगुना करेगे। इस राशि को विकासशील और गरीब देशों को जलवायु खतरों के प्रभावों को खत्म करने के लिए प्रदान किया जाएगा।  

वार्ता को सार्थक बताया 
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने काप-26 के नतीजों को लेकर कहा कि दुनिया जलवायु खतरों के नतीजों के खात्मे की शुरूआत के लिए काप-26 को याद रखेगी। हालांकि आने वाले वर्षों में काफी कुछ किए जाने की जरूरत है लेकिन इसमें लिये गये फैसले भी आगे बढ़ने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जान कैरी ने कहा कि ग्लास्गो जलवायु समझौता यह दर्शाता है कि जलवायु खतरों से निपटने के लिए काम शुरू हो चुका है।  

कोयले पर हाई वोल्टेज ड्रामा 
जलवायु समझौते में कोयले के मुद्दे पर इस बार हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। बुधवार को जारी पहले मसौदे में कोयले और जीवाश्म ईधन पर सबसिडी को हटाने की बात कही गई। लेकिन सऊदी, आस्ट्रेलिया जैसे कई देशों के विरोध के बाद उसे दूसरे मसौदे में हटा दिया गया। लेकिन इसे लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने काप की आलोचना की। जिसके बाद तीसरे मसौदे में उसे फिर शामिल कर लिया गया। लेकिन विकासशील देशों ने इस पर सवाल खड़े किये तो अंतिम मसौदे में उसे फिर से हटा दिया गया। जोर इस बात पर दिया गया कि कोयले के इस्तेमाल को कम किया जाए। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि कोयले के इस्तेमाल को खत्म करने की बजाय कम करने पर ही जोर देना ज्यादा बेहतर उपाय है। यदि खत्म करने की बाध्यता रखनी भी थी तो वह सिर्फ विकसित देशों के लिए होनी चाहिए थी। काप अध्यक्ष आलोक शर्मा ने ऐसी स्थिति उत्पन्न होने के लिए खेद जताया। 

एक दिन ज्याद चली वार्ता 
31 अक्टूबर से शुरू हुई जलवायु वार्ता 12 नवंबर को आधिकारिक रुप से खत्म हो गई थी। लेकिन 197  देशों के मंत्री और वार्ताकार शनिवार देर रात तक डटे रहे और समझौते को अंतिम रूप दिया। इस प्रकार एक यह वार्ता ज्यादा चली।  

कोरोना काल में सबसे बड़ा आयोजन 
यह जलवायु वार्ता कोरोना काल में सबड़े बड़ा आयोजन है। इसमें 20 हजार से अधिक डेलीगेट्स ने भाग लिया। वार्ता में शामिल होने के लिए रोज लोगों को कोरोना नेगेटिव टेस्ट की रिपोर्ट दिखानी होती थी तभी उन्हें सम्मेलन में जाने की अनुमति होती थी। इसके लिए लोगों को स्वत जांच के लिए किटें उपलब्ध कराई गई जिसे एनएचएस की वेबसाइट पर रिपोर्ट करना होता था। एनएचएसी के अपडेट के बाद ही ईमेल के जरिये नेगेटिव रिपोर्ट की सूचना दी जाती थी।  

 

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