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पाकिस्तान में ईशनिंदा पर ईसाई युवक को फांसी की सजा, 4 साल पहले की थी हरकत

पाकिस्तान की एक अदालत ने कथित रूप से ईशनिंदा करने के आरोप में एक ईसाई युवक को मौत की सजा सुनाई है। युवक पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

पाकिस्तान में ईशनिंदा पर ईसाई युवक को फांसी की सजा, 4 साल पहले की थी हरकत
Gaurav Kalaलाइव हिन्दुस्तान,इस्लामाबादSat, 03 Jun 2023 03:02 PM
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पाकिस्तान ईशनिंदा के मामले थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। ऐसे में सरकार से लेकर अदालतों ने सख्त रुख अपनाया है। ताजा घटनाक्रम के मुताबिक, पाकिस्तान की एक अदालत ने कथित रूप से ईशनिंदा करने के आरोप में एक ईसाई युवक को मौत की सजा सुनाई है। युवक पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आरोप है कि युवक ने चार साल पहले सोशल मीडिया के जरिए ईशनिंदा की थी।

पाकिस्तान की अदालत में ईशनिंदा के आरोप में दोषी पाए जाने वाले शख्स की पहचान नौमान मसीह (19) के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, वह लाहौर से करीब 400 किलोमीटर दूर बहावलपुर की इस्लामी कॉलोनी का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक, उसे चार साल पहले एक शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि उसने एक मैसेजिंग ऐप पर ईश-निंदा सामग्री साझा की थी।

अदालत के एक अधिकारी के अनुसार, पाकिस्तान के बहावलपुर शहर की जिला और सत्र अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा उसके खिलाफ सबूत और गवाह पेश करने के बाद आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई। एक अधिकारी ने कहा, "अभियोजकों ने मैह के सेलफोन का फॉरेंसिक रिकॉर्ड पेश किया, जिससे साबित हुआ कि उसने व्हाट्सएप के जरिए ईशनिंदा वाली सामग्री साझा की थी।" उन्होंने आगे कहा, 'कुछ गवाह भी कोर्ट में पेश किए गए।'

पाक में बेहद संवेदनशील ईशनिंदा 
पाकिस्तान में ईशनिंदा बेहद संवेदनशील मुद्दा है। अप्रमाणित आरोप भी भीड़ और हिंसा को भड़का सकते हैं। कई मामलों में, कानूनी कार्यवाही शुरू होने से पहले ही अभियुक्तों को भीड़ द्वारा मार दिया जाता है। इस साल, 7 मई को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की एक रैली के दौरान कथित रूप से ईशनिंदा संबंधी टिप्पणी करने के बाद भीड़ ने एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। 

पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जहां ईशनिंदा के लिए मौत की सजा है। इससे पहले 24 मार्च, 2023 को पाकिस्तान में एक मुस्लिम व्यक्ति को एक व्हाट्सएप ग्रुप पर ईशनिंदा सामग्री के लिए मौत की सजा दी गई थी। उसे पेशावर की एक अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम और आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था।

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