क्राइस्टचर्च जनसंहार: हत्यारे का नाम नहीं लेंगी न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री, जानें क्या है वजह
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने मंगलवार को संकल्प जताया कि वह क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में अंधाधुंध गोलीबारी कर 50 लोगों की जान लेने वाले हत्यारे का नाम कभी नहीं लेंगी। उन्होंने बेहद...
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने मंगलवार को संकल्प जताया कि वह क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में अंधाधुंध गोलीबारी कर 50 लोगों की जान लेने वाले हत्यारे का नाम कभी नहीं लेंगी। उन्होंने बेहद गमगीन माहौल में संसद के सत्र की शुरुआत करते हुए यह संकल्प जताया और मुस्लिमों को ‘अस्सलाम अलैकुम’ कहते हुए शांति का संदेश दिया।
कानून इस हत्यारे से निपटेगा :
अर्डर्न ने सांसदों के सामने क्राइस्टचर्च के हत्यारे का जिक्र करते हुए कहा, वह देश के कानून का सामना करेगा। साथ ही उन्होंने वादा किया कि इस हमलावर का नाम बिल्कुल नहीं लिया जाएगा। ताकि उसे किसी भी तरह का प्रचार न मिल सके।
उन्होंने 28 वर्षीय हमलावर के बारे में कहा, उसने जो किया, उसके कई मकसद थे। उनमें से एक मकसद सुर्खियां बटोरना भी था। इसीलिए आप कभी भी मेरे मुंह से उसका नाम नहीं सुनेंगे। वह एक आतंकवादी है। वह एक अपराधी है। वह एक चरमपंथी है। लेकिन अब उसका कोई नाम नहीं होगा।
न्यूजीलैंड PM को मिला था हमलावर का मेनिफेस्टो, लेकिन काफी देर हो चुकी थी
हमले के पीड़ितों का नाम लें :
काले रंग के परिधान पहने 38 वर्षीय अर्डर्न ने कहा, मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि आप लोगों की हत्या करने वाले का नाम लेने की बजाय उन लोगों का नाम लें जिन्होंने क्राइस्टचर्च हमले में जान गंवाई। अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने इस्लामी दुनिया में प्रचलित अरबी भाषा का अभिवादन ‘अस्सलाम अलैकुम’ अर्थात आप पर सलामती हो दोहराया। अपने संबोधन के अंत में अर्डर्न ने कहा, शुक्रवार को क्राइस्टचर्च हमले का एक सप्ताह हो जाएगा। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज के लिए एकत्र होंगे। हमें उनकी पीड़ा समझनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘वा अलैकुम सलाम वा रहमतुल्लाही वा बरकतुह...।’ अर्थात अल्लाह की दुआ, अमन और रहम आप सब पर बना रहे।
मृतकों को दफनाने में देरी :
इस बीच, हमले में मारे गए लोगों की पहचान और उनके फॉरेंसिक दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया में समय लग रहा है। इस कारण मृतकों के शव अब तक दफनाए नहीं जा सके हैं। इसके बावजूद मृतकों के परिजन अंतिम संस्कार की रस्में पूरी करने के लिए एकत्र हो रहे हैं। हालांकि कुछ शवों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। इस्लामी परंपरा के अनुसार आम तौर पर मौत के 24 घंटे के अंदर शव को दफना दिया जाता है।