क्वाड समिट का जवाब! विवादास्पद समझौतों के बाद सोलोमन द्वीप का दौरा करेंगे चीनी विदेश मंत्री वांग यी
अप्रैल में चीन-सोलोमन द्वारा एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद यह यात्रा हो रही है। आशंका है कि द्वीप राष्ट्र और चीन के बीच हुए समझौते से क्षेत्र में बीजिंग का सैन्य प्रभाव बढ़ सकता है।
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चीन ने रणनीतिक चालाकी के तहत 32 महीने पहले महज 7 लाख की आबादी वाले सोलोमन द्वीप के साथ राजनयिक संबंधों को औपचारिक रूप दिया था। इस बेहद अहम कदम के बाद पहली बार चीनी विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार और शुक्रवार को सोलोमन द्वीप का दौरा करेंगे। वांग आपसी हित और चिंता के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष यिर्मयाह मानेले के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। वह प्रधानमंत्री मनश्शे सोगावरे से भी मुलाकात करेंगे।
अप्रैल में चीन-सोलोमन द्वारा एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद यह यात्रा हो रही है। ऐसी आशंका है कि द्वीप राष्ट्र और चीन के बीच हुए समझौते से क्षेत्र में बीजिंग का सैन्य प्रभाव बढ़ सकता है। हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने उस समय कहा था कि दोनों पक्ष सामाजिक व्यवस्था, सुरक्षा, मानवीय सहायता और प्राकृतिक आपदा प्रतिक्रिया के रखरखाव पर सहयोग करेंगे।
चीन-सोलोमन के इस रिश्ते से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहज नहीं हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान जैसे देशों को डर है कि चीन अब सोलोमन द्वीप मे अपना सैन्य बेस बना सकता है, जो उनके लिए खतरा होगा। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के सरकारी अधिकारियों ने चीन के साथ समझौते को अस्वीकार करने के लिए सोलोमन को मनाने के प्रयास में हाल ही में इस दक्षिण प्रशांत राष्ट्र का दौरा किया था।
सोलोमन के पीएम सोगावरे ने सोमवार को कहा, "मेरी सरकार हमारे प्रमुख विकास भागीदारों से सभी उच्च स्तरीय यात्राओं का स्वागत करती है। हम हमेशा 'सभी से दोस्ती और किसी से दुश्मनी नहीं' की अपनी नीति पर खरे उतरेंगे क्योंकि हम अपने सभी विकास भागीदारों के साथ उत्पादक संबंधों को जारी रखने की आशा करते हैं।" एक अलग बयान के अनुसार, देश आने वाले महीनों में न्यूजीलैंड से एक उच्च स्तरीय यात्रा की भी उम्मीद कर रहा है।
क्वाड से चिढ़ता है चीन
जापान में क्वाड नेताओं के सम्मेलन से पहले चीन ने अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति पर यह कहते हुए निशाना साधा कि इसका ‘विफल होना तय’ है क्योंकि इसे अमेरिका ने उसे (चीन को) ‘काबू’ में रखने के लिए आगे बढ़ाया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिणी चीनी शहर गुआंगझाऊ में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में हिंद-प्रशांत रणनीति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह ‘हिंद प्रशांत रणनीति’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अधिकाधिक सतर्कता एवं चिंता पैदा कर रही है।
वांग ने कहा कि अमेरिका की ‘हिंद-प्रशांत रणनीति’ विफल रणनीति ही बनने जा रही है। वांग की यह टिप्पणी चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर डाली है। उनकी यह टिप्पणी 24 मई को तोक्यो में हुए क्वाड सम्मेलन से पहले आई थी। इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान एवं आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने हिस्सा लिया।