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चीनी वैक्सीन लेकर फंस गए देश, बेअसर होने पर US-UK से टीके मंगवाने को मजबूर हुए

कोरोना से जंग में अब तक सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन ही है। भारत की देखा-देखी चीन ने भी कई देशों को अपनी कोविड वैक्सीन पहुंचाई और कुछ देश तो ऐसे भी थे जहां सिर्फ सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की बनाई चीनी...

चीनी वैक्सीन लेकर फंस गए देश, बेअसर होने पर US-UK से टीके मंगवाने को मजबूर हुए
ब्लूमबर्ग,वॉशिंगटनThu, 30 Sep 2021 08:38 AM

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कोरोना से जंग में अब तक सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन ही है। भारत की देखा-देखी चीन ने भी कई देशों को अपनी कोविड वैक्सीन पहुंचाई और कुछ देश तो ऐसे भी थे जहां सिर्फ सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की बनाई चीनी वैक्सीन के सहारे ही टीकाकरण अभियान चलाया गया। हालांकि, डेल्टा वेरिएंट के तेजी से फैलने के बाद इस वैक्सीन का असर काफी कम हो गया और अब बहुत से देश चीन के बनाए टीके की बजाय अमेरिका और यूरोपीय देशों की वैक्सीन खरीदने की होड़ लगा रहे हैं। इसका परिणाम चीन के कस्टम डेटा पर साफ दिख रहा है। इसके मुताबिक, चीन ने जुलाई माह में जहां 2.48 अरब डॉलर की वैक्सीन निर्यात की थी वहीं यह अगस्त में 21 फीसदी घटकर सिर्फ 1.96 अरब डॉलर का रह गया। 

इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि फाइजर और मॉडर्ना की बनाई कोविड वैक्सीन पहले सिर्फ अमीर देशों में ही लगाई जा रही थी लेकिन धीरे-धीरे अब इनका निर्यात एशिया, लातिन अमेरिका और मिडिल ईस्ट में भी बढ़ा है। 

विदेश नीति और जन स्वास्थ्य पर कई किताबें संपादित कर चुके हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निकोलस थॉमस कहते हैं, 'मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के अलावा अब आम जनता भी जागरूक हुई है। उन्हें भी अब वैक्सीन का फर्क पता लग गया है। उन्हें भी यह मालूम पड़ गया है कि सुरक्षा के मामले में सारी वैक्सीन एक जैसी नहीं होती।'

चीन की बनाई वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में 50 से 80 फीसदी तक असरदार पाई गई थी लेकिन ये कोरोना से सुरक्षा देने में mRNA वैक्सीनों की तुलना में काफी पीछे हैं। वहीं, तेजी से फैल रहे डेल्टा वेरिएंट के आने के बाद चीनी वैक्सीन की एफिकेसी पर भी सवाल उठने लगे थे। 

थाइलैंड पहला ऐसा देश था जिसने अपने देश में सिनोवैक वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों को भी एस्ट्राजेनेका की खुराकें देने का ऐलान किया। थाइलैंड ने कई शोधों में चीनी वैक्सीन की तुलना में अमेरिकी या यूरोपिय वैक्सीन ज्यादा असरदार पाए गए। 

स्थिति यहां तक पहुंच गई कि थाइलैंड के नागरिकों ने देश में चीनी वैक्सीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तक शुरू कर दिए। इसके बाद थाइलैंड सरकार ने सिनोवैक के ऑर्डर को रोक दिया और पश्चिमी देशों की बनाई वैक्सीन खरीदनी शुरू कर दी।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से 1.1 अरब एमआरएनए वैक्सीन शॉट, यूरोप की तरफ से लाखों-करोड़ों खुराकें देने के वादे की वजह से भी अब कई देशों की सरकारों ने चीनी वैक्सीन पर निर्भरता कम कर दी है। वहीं भारत ने भी अगले महीने से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के निर्यात पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है। 

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