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चीन की 'क्षेत्र और सड़क पहल' में और देश जुड़े, पर भारत-अमेरिका की राह जुदा

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग यहां इसी सप्ताह होने जा रहे एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर अपनी सड़क, रेल और बंदरगाह जैसी बुनियादी सुविधाओं के विस्तार की अपनी महत्वाकांक्षी पहल में शामिल...

चीन की 'क्षेत्र और सड़क पहल' में और देश जुड़े, पर भारत-अमेरिका की राह जुदा
एजेंसी,बीजिंगWed, 24 Apr 2019 12:01 AM
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चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग यहां इसी सप्ताह होने जा रहे एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर अपनी सड़क, रेल और बंदरगाह जैसी बुनियादी सुविधाओं के विस्तार की अपनी महत्वाकांक्षी पहल में शामिल होने के लिये और देशों को आकर्षित करेंगे। हालांकि, इस योजना को लेकर जहां अमेरिका, यूरोप में मतभेद है, वहीं भारत इसका विरोध करता आ रहा है।

राष्ट्रपति शी 'क्षेत्र और सड़क पहल' (बीआरआई) नाम की इस पहल में अधिक से अधिक देशों का समर्थन जुटाने के साथ ही ऐसे देशों की आशंकाओं को भी दूर करने का प्रयास होगा जो इसे एक रणनीतिक संकट के रूप में देखते हैं। समझा जाता है कि यह परियोजना महाशक्ति बनने की चीन की महत्वाकांक्षा को पूरा करने की एक बुनियादी परियोजना है।

क्षेत्र और मार्ग पहल (बीआरआई) में एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 65 देशों में बुनियादी परियोजनाओं में भारी निवेश की योजना है। ये देश विश्व के सकल घरेलू उत्पादन में 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं। यह परियोजना पूरी होने पर विश्व का परिदृश्य बदल सकता है।

लेकिन इस परियोजना के स्वरूप और इसके पहलुओं को लेकर अमेरिका और यूरोप में मतभेद हैं। अमेरिका ने इसे चीन की महत्वकांक्षा वाली परियोजना बता कर इसकी आलोचना की है। अमेरिका का कहना है कि इस पहल में पड़ने वाले देश चीन के 'रिण जाल' में फंस जाएंगे और इससे फायदा चीन की कंपनियों और मजदूरों को होगा।

यह पहल शी ने 2013 में शुरू की थी। फिलहाल इस पहल के पक्ष में कई नए देश जुड़ते दिख रहे हैं। वृहस्पतिवार को शुरू हो रहे तीन दिन के इस दूसरे बीआरआई शिखर सम्मेलन में 37 देशों के नेता आ रहे हैं। दो साल पहले यहीं हुए पहले सम्मेलन में 29 देशों के प्रमुख नेता आए थे। इस पहल को देख रहे चीन के सरकारी अधिकारी शियो वेइमिंग ने बताया कि चीन इस पहल में अब तक 90 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। इसके अलावा बैंकों ने भी 200 से 300 अरब डॉलर के बराबर रिण उपलब्ध कराए हैं।

इसी दौरान श्रीलंका को गहरे समुद्र वाले एक बंदरगाह के विकास के लिए लिया गया कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उसे 99 वर्ष के पट्टे पर चीन को सौंपना पड़ा है। पाकिस्तान भी विदेशी मुद्रा कोष के संकट से उबरने के लिए अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्य देशों से कर्ज ले रहा है। मोटेनेग्रो भी एक सड़क परियोजना के लिए चीन की कंपनी का बकाया चुकाने के लिए चीन से महंगा कर्ज ले रहा है। श्रीलंका, मालदीव और मलेशिया जैसे कुछ देशों में बीआरआई परियोजना चुनावी मुद्दा बन चुका है।

इस बीच इटली बीआरआई पहल से जुड़ने वाला जी7 का पहला सदस्य बन गया है। चीन उसके साथ समझौते के तहत वहां के बंदरगाहों में धन लगाना चाहता है। नाटो देशों में इसको लेकर अशांति है। पर इटली के उप प्रधानमंत्री मेटेओ सालविनी ने कहा है कि उनका देश किसी का 'उपनिवेश नहीं बनेगा। 

यूरोप के एक अन्य देश स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति यूली माउरर भी सम्मेलन में आने वाले हैं। इसके अलावा रुस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन भी इसमें भाग लेंगे। हालांकि, प्रमुख यूरोपीय संघ के देश अपने मंत्रियों को चीन भेज रहे हैं। अमेरिका ने कहा है कि बीआरआई सम्मेलन में उसका उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल नहीं भाग लेगा।

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