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सीमा पर तनाव को लेकर पोल खुलने से तिलमिलाया चीन, शी जिनपिंग की आलोचना करने वाली प्रोफेसर को मिली ये सजा

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक कट्टर आलोचक को निष्कासित कर दिया है। इस आलोचक ने शी पर भारत सहित अन्य देशों के साथ संघर्ष भड़काने का आरोप लगाया है, ताकि चीनी जनता का...

सीमा पर तनाव को लेकर पोल खुलने से तिलमिलाया चीन, शी जिनपिंग की आलोचना करने वाली प्रोफेसर को मिली ये सजा
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 19 Aug 2020 08:53 AM
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चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक कट्टर आलोचक को निष्कासित कर दिया है। इस आलोचक ने शी पर भारत सहित अन्य देशों के साथ संघर्ष भड़काने का आरोप लगाया है, ताकि चीनी जनता का ध्यान घरेलू आर्थिक और सामाजिक तनावों से दूर किया जा सके।

हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सोमवार को सूचना दी कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने सेंट्रल पार्टी स्कूल की पूर्व प्रोफेसर कै ज़िया को उनके उस भाषण के लिए दंडित किया, जो कि "देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है"। स्कूल की वेबसाइट पर एक नोटिस को कोट कर रिपोर्ट में लिखा था कि- 68 वर्षीय कै को सजा दी गई क्योंकि उन्होंने "गंभीर राजनीतिक समस्याओं" को लेकर भाषण दिया था। नोटिस में कहा गया है कि उनके भाषण "असाधारण रूप से निष्पादन योग्य प्रकृति" के थे, और पार्टी के राजनीतिक अनुशासन का गंभीर उल्लंघन करते थे।

कै ने पोस्ट को बताया कि वह संयुक्त राज्य में वह सुरक्षित और अच्छी थी। जून में यूके के गार्जियन अखबार को दिए एक साक्षात्कार में, कै ने कहा कि शी चीन और भारत के बीच संघर्ष को भड़का रहे हैं और इसके अलावा अमेरिकी विरोधी भावना को बढ़ावा देने के लिए अपनी स्थिति और अधिकार को मजबूत करते हैं।

यह पूछे जाने पर कि चीन को दुनिया का दुश्मन बनाने में क्या लाभ है और क्यों शी संघर्ष को भड़काएंगे। कै ने कहा, “कई कारक हैं। उनमें से यह है कि वह चीन में अपनी स्थिति और अधिकार को मजबूत करना चाहता है। उन्होंने कहा कि घरेलू आर्थिक और सामाजिक तनावों को लेकर वह चीनी जनता का ध्यान हटाने के तरीकों के बारे में सोच रहे हैं। इसके लिए वे अन्य देशों के साथ संघर्ष को भड़का रहे हैं। उदाहरण के लिए- अमेरिकी-विरोधी भावना को प्रोत्साहित करना, चीन और भारत के बीच हालिया टकराव। उन्होंने कई मुद्दों पर शी की आलोचना की, जिसमें राष्ट्रपति के रूप में आजीवन कार्यकाल के लिए दो कार्यकाल की सीमा को हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन सहित, कोरोना वायरस हताहतों से संबंधित गोपनीयता और वायरस पर अंकुश लगाने के लिए कोई तैयारी नहीं होने के आरोप शामिल हैं।

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