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चेक गणराज्य नेता को धमकी देना चीन को पड़ा भारी, यूरोपीय देशों ने किया पटलवार

चेक गणराज्य सीनेट के अध्यक्ष मिलोस वीसट्रिसिल का ताइवान दौरा चीन को इतना नागवार गुजरा की उसने धमकी देते कहा कि इसकी उन्हें 'भारी कीमत' चुकानी पड़ेगी। चेक रिपब्लिक के सीनेट के अध्यक्ष...

चेक गणराज्य नेता को धमकी देना चीन को पड़ा भारी, यूरोपीय देशों ने किया पटलवार
शिशिर गुप्ता, एचटी,नई दिल्ली।Thu, 03 Sep 2020 04:27 PM
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चेक गणराज्य सीनेट के अध्यक्ष मिलोस वीसट्रिसिल का ताइवान दौरा चीन को इतना नागवार गुजरा की उसने धमकी देते कहा कि इसकी उन्हें 'भारी कीमत' चुकानी पड़ेगी। चेक रिपब्लिक के सीनेट के अध्यक्ष मिलोस वीसट्रिसिल ने ताइवान दौरे में चीनी चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से गुरुवार की सुबह मुलाकात की।

चीन ने मिलोस वीसट्रिसिल की इस ताइवान यात्रा को “अंतरराष्ट्रीय विश्वासघाती कदम“ और “बीजिंग की वन चाइना पॉलिसी“ का उल्लंघन करार दिया। सबसे ज्यादा तल्ख बयान पांच दिवसीय दौरे पर गए चीनी विदेश मंत्री वांग यी की तरफ से आया। उन्होंने कहा कि मिलोस वीसट्रिसिल ने “रेड लाइन को पार” किया है।

चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और अन्य देश और ताइवान के बीच आधिकारिक संपर्क पर वह आपत्ति जताता है। चीन के विदेश मंत्री ने सप्ताहांत में कहा कि वीसट्रिसिल को उनके अदूरदर्शी व्यवहार और राजनीतिक अवसरवाद के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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वांग यी ने चेक के सीनेट के अध्यक्ष की ताइवान यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि एक-चीन नीति को चुनौती देने वाले किसी को भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि ताइवान चीन क्षेत्र का अविभाज्य हिस्सा है और ताइवान मुद्दे पर एक चीन नीति को चुनौती देना यानी 1.4 अरब चीनियों को दुश्मन बनाना एवं अंतरराष्ट्रीय विश्वास एवं आचरण का उल्लंघन करना है।

वांग के इस बयान की जर्मनी, स्लोवाकिया और फ्रांस ने आलोचना की है।  जर्मनी के विदेश मंत्री हेईको मास ने बुधवार को वांग की धमकी पर कहा कि यूरोपीय देश अपने अंतरराष्ट्रीय साझीदारों का सम्मान करता है और उनसे भी यही अपेक्षा करता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बर्लिन में प्रेस ब्रीफिंग में वांग के बगल में खड़े जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा- “धमकी यहां पर उचित नहीं है।”

फ्रांस के विदेश मंत्री ने वांग की इस टिप्पणी को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया तो वहीं स्लोवाकिया के राष्ट्रपति केपुटोवा ने एक ट्वीट के जरिए कहा, “यह धमकी यूरोपीय सदस्यों में से एक को दी गई है और इसका उसके प्रतिनिधि खंडन करते हैं और यह अस्वीकार्य है।”

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मिलोस वीसट्रिसिल जिनकी यात्रा ने कूटनीतिक तूफान पैदा किया, वह 90 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 30 अगस्त को ताइवान आए। उन्होंने यह घोषणा करते हुए कि चेक गणराज्य बीजिंग की आपत्तियों के आगे नहीं झुकेगा, जो लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप को ब्रेग्जिट प्रांत मनता है। गुरुवार को उन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन और अन्य शीर्ष सरकारी अधिकारियों के साथ मुलाकात की।

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