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'गुल्जा नरसंहार' की तरह उइगर मुस्लिमों को खत्म कर देगा चीन? समझिए जिनपिंग का खूनी खेल

चीन इसी तरह के पैटर्न को फॉलो कर रहा है। उइगरों के मन में खौफ पैदा करने के लिए चीन ने हमेशा क्रूरता का इस्तेमाल किया है। गुल्जा नरसंहार उनकी क्रूरता और अमानवीय कृत्य की शुरुआत भर था।

'गुल्जा नरसंहार' की तरह उइगर मुस्लिमों को खत्म कर देगा चीन? समझिए जिनपिंग का खूनी खेल
Amit Kumarलाइव हिन्दुस्तान,बीजिंगWed, 08 Feb 2023 09:48 PM
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चीन पूरी तरह से उइगर मुस्लिमों को खत्म करने पर तुला है। चीनी अधिकारी अब खुले तौर पर उइगरों को मौत के घाट उतार रहे हैं लेकिन दुनिया चीन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। उइगर टाइम्स में एक लेखक ने चेतावनी दी है कि जल्द ही दुनिया को उस सच्चाई का सामना करना पड़ेगा जिसका उइगर कर रहे हैं। गुल्जा नरसंहार (Ghulja massacre) के 26 साल बाद भी उइगरों की स्थिति इस हद तक बिगड़ चुकी है कि चीन अब खुलेआम उइगरों को मार रहा है, उन्हें शिविरों में बंद कर अमानवीय व्यवहार कर रहा है, मस्जिदों को तबाह कर रहा है, रमजान पर प्रतिबंध लगा रहा है, बच्चों को उनके माता-पिता से छीन रहा है। लेखक गुलनाज उइगर ने चेतावनी देते हुए लिखा है कि चीन उन बच्चों को अनाथालयों में सड़ने के लिए मजबूर कर रहा है, और कई अन्य दिल दहला देने वाली  यातनाएं हो रहा है।  

उइगरों से जुड़ी हर चीज को खत्म कर रहा चीन

उइगरों के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए, बीजिंग ने उइगर पहचान के हर प्रतीक पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। लेखक ने लिखा, "हमारी आस्था, संस्कृति, जीवन शैली और वह हर चीज जिसे चीन खतरे के रूप में देख रहा है उसे खत्म कर रहा है। गुल्जा में विरोध प्रदर्शन इन्हीं कठोर कार्रवाइयों का नतीजा था। चीन के खिलाफ हमारी लड़ाई अकेले हमारी नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति जो आजादी में यकीन रखता है, अपने धर्म को मानता है, और अपनी संस्कृति की रक्षा करता है, उसे स्वतंत्र राष्ट्र बने रहने के लिए संघर्ष करना चाहिए।" 

उन्होंने कहा कि दुनिया में चीनी जासूसी गतिविधियों की बढ़ती घटनाओं, उनकी ऋण कूटनीति, ब्लैकमेलिंग की घटनाओं आदि के साथ, जल्द ही दुनिया उस सच्चाई का सामना करेगी जिसका उइगर कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रों ने खासतौर से चीन को इस्लाम का राजदूत बनने की अनुमति दी है। 

क्या है गुल्जा नरसंहार?

5 फरवरी को, उइगर समुदाय ने गुल्जा नरसंहार की 26 वीं वर्षगांठ मनाई। यह नरसंहार 1997 में हुआ था। झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र (एक्सयूएआर) के गुल्जा में उइगर मुस्लिम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। वे अपनी जमीन को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। चीनी सेना ने इन हजारों निर्दोष उइगर को कथित तौर पर मार डाला और कैद कर लिया। 

विरोध चीन द्वारा 30 उइगर स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार की अचानक खबर के बाद भड़का था। दरअसल 1980 के दशक के दौरान झिंजियांग में उइगर युवाओं के बीच मेशरप खासा लोकप्रिय हो गया था। मेशरप एक सांस्कृतिक अभ्यास है जिसमें संगीत, नृत्य और कविता शामिल है। 1990 के दशक के मध्य में चीनी अधिकारियों ने मेशरप आंदोलन को एक खतरे के रूप में देखना शुरू किया। 1996 में मेशरप बैठकों के एक प्रमुख आयोजक अब्दुहेलिल अब्दुर्रहमान को चीनी अधिकारियों ने जेल में डाल दिया गया और बाद में पीट-पीटकर मार डाला गया। बस यहीं से विरोध और तेज हो गया। 

तेज होते गए प्रदर्शन, चीन ने किया था नरसंहार

चीन ने प्रदर्शन कर रहे 30 उइगर स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं को फांसी पर चढ़ा दिया। इस खबर से विरोध भड़क उठे। इसके अलावा, 3 फरवरी 1997 को मेशरप में भाग लेने वाली महिलाओं के एक समूह को गिरफ्तार कर लिया गया था। 5 फरवरी 1997 को, दो दिनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने "अल्लाह हू अकबर" और "झिंजियांग की आजादी" चिल्लाते हुए मार्च किया था। इसे दबाने के लिए चीन ने वाटर कैनन, और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। कई प्रदर्शनकारी चीनी सेना की गोलियों से मारे गए। आधिकारिक रिपोर्टों में मरने वालों की संख्या 9 बताई गई है, जबकि असंतुष्ट रिपोर्टों में मरने वालों की संख्या 100 से अधिक थी।  

अब रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीन इसी तरह के पैटर्न को फॉलो कर रहा है। उइगरों के मन में खौफ पैदा करने के लिए चीन ने हमेशा क्रूरता का इस्तेमाल किया है। गुल्जा नरसंहार उनकी क्रूरता और अमानवीय कृत्य की शुरुआत भर था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस दौरान हजारों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस घटना के 26 साल बाद आज उइगरों की स्थिति और भी खराब हो गई है। पहले इन घटनाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता था, लेकिन अब चीनी अधिकारी उइगरों को खुलेआम मार रहे हैं, उन्हें शिविरों में बंद करके उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं। 

केवल दो प्रकार के उइगर बचे हैं: प्रवासियों के तौर पर दूसरे देशों में रहने वाले जो अपनी मातृभूमि से दूर होने के साथ ये भी नहीं जानते कि उनके अपने प्रियजन कहां हैं। दूसरे वे हैं, जो चीनी कब्जे में रह रहे हैं लेकिन हर दिन थोड़ा-थोड़ा मर रहे हैं। उइगर समुदाय का एक भी सदस्य क्रूरता से अछूता नहीं है।  

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