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इस खास रणनीति की वजह से चीन ने थलसेना में सैनिकों की संख्या की आधी

चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। लेकिन रणनीतिक बदलाव के तहत बीजिंग ने गत कुछ वर्षों में अपनी थलसेना में गैर लड़ाकू सैनिक की संख्या आधी कर दी है। इसी के साथ पीएलए में सैनिकों के संख्याबल के...

इस खास रणनीति की वजह से चीन ने थलसेना में सैनिकों की संख्या की आधी
एजेंसी,बीजिंगWed, 23 Jan 2019 04:13 AM
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चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। लेकिन रणनीतिक बदलाव के तहत बीजिंग ने गत कुछ वर्षों में अपनी थलसेना में गैर लड़ाकू सैनिक की संख्या आधी कर दी है। इसी के साथ पीएलए में सैनिकों के संख्याबल के हिसाब से थलसेना की हिस्सेदारी भी पहली बार 50 फीसदी से नीचे आ गई है। इसकी भरपाई वह नौसेना और वायुसेना की ताकत को बढ़ाकर कर रहा है। इसका मकसद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को आधुनिक सैन्य ताकत बनाना है। 

चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ के हवाले से हांगकांग के अखबार चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसके मुताबिक चीन की सेना में 20 लाख सैनिक हैं। लेकिन चीन नौसेना, वायुसेना और नई रणनीतिक इकाईयों में संख्या बल बढ़ा रहा है। जबकि पारंपरिक थलसेना में गैर लड़ाकू सैनिकों की संख्या घटा कर करीब आधी कर दी है। शिन्हुआ ने इस बदलाव को इंगित करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि अब पीएलए में थलसेना की हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम हो गई है।

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रिपोर्ट के मुताबिक पीएलए में अधिकारियों की संख्या में 30 फीसदी की कटौती की गई है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से शुरू किए गए सैन्य सुधार के तहत हाल के वर्षों में सेना ने तीन लाख सैनिकों की संख्या कम की है। 

नौसेना का तेजी से विस्तार
दक्षिण चीन सागर विवाद और समुद्री मार्गों पर प्रभुत्व को लेकर अमेरिका से साथ प्रतिस्पर्धा को देखते हुए चीन ने गत वर्षों में नौसेना का तेजी से विस्तार किया है। शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास अभी एक विमान वाहक पोत सेवा में है। जबकि दूसरे का परीक्षण चल रहा है। तीसरे विमान वाहक पोत का निर्माण किया जा रहा है। चीन की योजना पांच से छह विमान वाहक पोत नौसेना में शामिल करने की है। 

तीन साल पहले बनाई  दो नई शाखाएं
चीनी सेना में मौजूदा समय में पांच शाखाएं हैं। ये है थलसेना, वायुसेना, नौसेना, रॉकेट बल (रणनीतिक और कुशल मिसाइल संचालन के लिए ) और रणनीतिक सहयोग बल (साइबर, अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए)। इनमें से रॉकेट बल और रणनीतिक सहयोग बल की स्थापना तीन साल पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सैन्य आधुनिकीकरण योजना के तहत हुई है। 

वैश्विक महाशक्ति बनने की महत्वकांक्षा
शंघाई आधारित सैन्य विश्लेषक नी लेक्सीआंग ने कहा, चीन द्वारा सैन्य ढांचे में बदलाव रणनीतिक बदलाव का संकेत है। अब बीजिंग अपनी घरेलू सुरक्षा के बजाय सीमा से परे भी अपनी हितों की रक्षा के लिए क्षमता विकसित करने की नीति पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि संघर्ष के समय चीनी सीमा से परे दुश्मनों का मुकाबला करने में नौसेना,वायुसेना और मिसाइल इकाईयों की अधिक भूमिका होगी।

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पांच साल में बदली तस्वीर 
- 2013 में चीन की सेना में 23 लाख सैन्यकर्मी और अधिकारी थे
- 2.35 लाख कर्मी नौसेना में थे जबकि वायुसेना में 3.98 लाख 

पीएलए में बदलाव 
- 1927 में रेड आर्मी के नाम से गठित हुई पीएलए
- 1949 में  गृह युद्ध में कम्युनिस्ट पार्टी की जीत में अहम योगदान 
- 1950 से 2005 के बीच पीएलए में दस बार हुआ पुनर्गठन 
- 1949 में पीएलए की नौसेना और वायुसेना नहीं थी 
- 1966 में रॉकेट बल का गठन किया गया था 

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