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अमेरिका के प्रतिबंध से नाराज चीन, रद्द की सैन्य वार्ता

रूस के लड़ाकू जेट विमान खरीदने पर चीन की सैन्य एजेंसी पर अमेरिका के प्रतिबंध से नाराज चीन ने अमेरिका के साथ सैन्य वार्ता रद्द कर दी है। चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया है और सैन्य समझौता रद्द करने...

अमेरिका के प्रतिबंध से नाराज चीन, रद्द की सैन्य वार्ता
शंघाई| एजेंसी Sun, 23 Sep 2018 08:44 PM
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रूस के लड़ाकू जेट विमान खरीदने पर चीन की सैन्य एजेंसी पर अमेरिका के प्रतिबंध से नाराज चीन ने अमेरिका के साथ सैन्य वार्ता रद्द कर दी है। चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया है और सैन्य समझौता रद्द करने की घोषणा की है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उप विदेश मंत्री झेंग जेगुआंग ने अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रानस्टाड को समन करके अपनी एक सैन्य एजेंसी और उसके निदेशक को प्रतिबंधित करने के अमेरिकी कदम के खिलाफ नाराजगी जताई और सैन्य वार्ता रद्द करने की बात कही।

झेंग ने कहा कि अमेरिका के दौरे पर गए नौसेना प्रमुख शेन जिलांग को वापस बुला लिया जाएगा और अगले सप्ताह बीजिंग में प्रस्तावित चीन और अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की वार्ता को रद्द किया जाता है। बयान में यह भी कहा गया है कि  अमेरिका के इस कदम के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का चीन के पास पूरा अधिकार है। 

अमेरिका को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
चीन के सैन्य प्रवक्ता डब्ल्यू क्यूआन ने कहा कि रूस से लडाकू जेट विमान और मिसाइल का सौदा दो संप्रभु देशों के बीच सहयोग के लिए उठाया गया बेहद सामान्य कदम है। अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

प्रतिबंध नहीं हटाए तो खामियाजा भुगतेगा
चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा  कि  अमेरिका ने अगर तत्काल प्रतिबंध नहीं हटाए तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अमेरिका के इस कदम से नाराज चीन ने कहा है कि न्यूयॉर्क जितना जल्द हो सके  अपनी'गलती'सुधार लेगा तो बेहतर होगा। 

निशाना मॉस्को है चीन नहीं: अमेरिका
अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, यह प्रतिबंध चीन द्वारा रूस से पिछले साल 10 एययू-35 लड़ाकू विमान और इस वर्ष सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल खरीदने के कारण लगाया गया है। अमेरिका ने कहा,‘चीन की सैन्य समिति के खिलाफ यह कदम रूस की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों पर नकेल कसने के मकसद से उठाया गया है।’ विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा, चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने रूस के नुकसान पहुंचाने वाले कदमों के खिलाफ अमेरिकी कानून का उल्लंघन करते हुए उससे एस 400 मिसाइल खरीदी है।’ अधिकारी ने कहा कि दरअसल अमेरिका का निशाना मॉस्को है, बीजिंग नहीं।

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