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जब चांद से मिट्टी निकालने में मरते-मरते बचा एस्ट्रोनॉट, 51 साल पहले नासा मिशन से जुड़ा किस्सा

चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा से मिट्टी के नमूने वापस धरती पर लाना है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब चांद से मिट्टी लाई गई। 1972 में नासा ने ऐसा किया था। लेकिन, तब एक घटना से एस्टोनॉट की जान पर बन आई थी।

जब चांद से मिट्टी निकालने में मरते-मरते बचा एस्ट्रोनॉट, 51 साल पहले नासा मिशन से जुड़ा किस्सा
Gaurav Kalaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 21 Nov 2023 08:57 AM
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भारत का चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) मिशन बेहद सफल रहा। अब, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जापान के साथ मिलकर अपने अगले प्रोजेक्ट चंद्रयान-4 (chandrayaan-4) पर फोकस कर लिया है। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा से मिट्टी के नमूने वापस धरती पर लाना है। यह भारत को अंतरिक्ष में लंबी उड़ान देने में मदद करेगा। चांद पर मिट्टी (Moon Dust) लाने का यह पहला काम नहीं है, 51 साल पहले नासा के अपोलो-17 मिशन (NASA Apollo 17 mission) ने भी यह कारनामा किया था। हालांकि यह काम बेहद जोखिम भरा होता है। चांद से मिट्टी निकालने में नासा का अंतरिक्ष यात्री मरते-मरते बचा था। क्या था वह किस्सा, जानते हैं और यह भी पढ़ेंगे कि मून डस्ट इतनी खतरनाक क्यों है?

यह बात 1972 की है, जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपोलो-17 मिशन के लिए अपने कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजा। इस मिशन का मकसद वहां की मिट्टी धरती पर लाना था। यह कार्य पहली बार किया जा रहा था, इसलिए इसमें काफी जोखिम भी था। चांद से मिट्टी निकालने का काम बेहद सावधानी से किया जा रहा था। चंद्रमा पर कदम रखने वाले अंतिम व्यक्ति हैरिसन स्मित मून डस्ट निकाल रहे थे, तभी उनके साथ एक हादसा हो गया और बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच सकीं।

क्या हुई थी घटना
2019 में एक इंटरव्यू के दौरान हैरिसन ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि चांद से मिट्टी निकालते वक्त अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उनकी जान पर बन आई थी। वह बताते हैं कि मून डस्ट निकालने के बाद जब नमूनों को जमा करने के लिए वापस यान पर पहुंचे तो पाया कि उनके सूट पर मिट्टी चिपकी हुई थी। उन्होंने उसे सूंघा और मिट्टी के कुछ कण उनकी नाक से शरीर में चले गए। चंद ही मिनटों में उनकी नाक में सूजन आ गई और आंखे लाल हो गई। हालत यह हो गई कि उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। 

अगले 24 घंटे उनके लिए बेहद खतरनाक रहे और बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच सकीं। बाद में उनके साथियों ने पाया कि मिट्टी निकालने के दौरान उनके जूते के सोल भी बुरी तरह नष्ट हो गए थे। स्पेस सूट भी क्षतिग्रस्त हो गया था। 

क्यों खतरनाक है मून डस्ट
चांद पर पाई जाने वाली मिट्टी (Moon Dust) धरती जैसी नहीं होती। इसमें मौजूद कण धरती में पाए जाने कणों से काफी अलग होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद पर उल्कापिंड लगातार टकराते रहते हैं। एक-दूसरे से टकराने के बाद विस्फोट में इनके कण चांद में गिरते हैं, जो वहां की मिट्टी में घुल-मिल जाते हैं। कई वैज्ञानिक चांद की मिट्टी को 'गन पाउडर' भी कहते हैं। यही वजह है कि जब 1972 में अपोलो मिशन के बाद चांद की मिट्टी धरती पर लाई गई तो उसके अवशेष देखकर वैज्ञानिकों के होश उड़ गए थे।

ऐसा बताया जाता है कि मिट्टी को खास और बेहद सुरक्षित कंटेनरों में धरती पर लाया गया था। ऐसी कोशिश थी कि चांद की मिट्टी को किसी तरह के नुकसान से बचाकर धरती पर लाया जाए। लेकिन, जब कंटेनर खोले गए तो नासा के वैज्ञानिक हैरान कर गए। उन्होने पाया कि मिट्टी तो सीसे के टुकड़ों जैसा प्रतीत हो रही है। वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद पाया कि चांद की मिट्टी उल्कापिंडों के टकराने के बाद अवशेषों से बनी है।

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