ब्रिटेन ने चीन को दिया तगड़ा झटका, सरकारी कंपनी को बड़े प्रोजेक्ट से किया बाहर
ब्रिटेन ने साइजवेल सी न्यूक्लियर पावर स्टेशन डील से चीन की सरकारी कंपनी को बाहर कर दिया है। ऋषि सुनक ने पहले ही कह दिया था कि दोनों देशों के संबंध का स्वर्णकाल खत्म हो चुका है.।

इस खबर को सुनें
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चीन के साथ रिश्ते को लेकर साफगोई अपनाते हुए कहा था कि अब दोनों देशों के बीच संबंधों का सुनहरा समय समाप्त हो गया है। इसके बाद ब्रिटेन की सरकार ने चीन की एक कंपनी को तगड़ा झटका दिया है। ब्रिटेन ने साइजवेल सी न्यूक्लियर पावर स्टेशन प्रोजेक्ट से चीनी कंपनी सीजीएन को बाहर कर दिया है। अब बाकी का काम फ्रेंच पार्टनर ईडीएफ करेगा। बता दें कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान पश्चिमी देश ना केवल रूस बल्कि चीन पर भी भड़के हुए हैं। चीन खुलकर रूस का साथ देता दिखाई देता है।
टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कंपनी को बाहर निकालने के बाद ब्रिटेन की सरकार पर बोझ बढ़ेगा। यह डील 70 करोड़ पाउंड की हुई थी। सरकार इसपर 679 मिलियन पाउंड खर्च कर रही है। इसमें से 20 मिलियन पाउंड चीन की सरकारी कंपनी जीसीएन को मिलेगा। एग्जिट सौदे के तहत ब्रिटेन चीनी कंपनी को भुगतान करेगा। बता दें कि 2015 से यूके में न्यूक्लियर पावर के मामले में चीन का बड़ा योगदान रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसी डील की वजह से इसे दोनों देशों के संबंधों का सुनहरा युग बताया था। हालांकि ऋषि सुनक ने एक झटके में इस दौर को खत्म कर दिया है।
बीबीसी के पत्रकार पर हमले के बाद बिगड़े संबंध?
चीनी पुलिस पर आरोप है कि उसने बीबीसी के एक पत्रकार की पिटाई की। चीन में इन दिनों एंटी कोविड नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इसको कवर कर रहे पत्रकार को पुलिस ने पीटा। इसके बाद सुनक ने कहा था कि ब्रिटेन को चीन के प्रति अपने दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है। वहीं उन्होंने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
ऋषि सुनक ने कहा कि चीन लगातार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है और इसके लिए वह ताकत का इस्तेमाल कर रहा है। सुनक ने 2015 की पॉलिसी को रद्द करने की तरफ इशारा किया था। ब्रिटेन ने साफ कर दिया है कि वह चीन के अतिरिक्त एशिया-पसिफिक दूसरे देशों से संबंध मजबूत करेगा। बता दें कि 2015 में चीन के साथ संबंधों को लेकर गोल्डन एरा पॉलिसी बनाई गई थी। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बेहतर करना था।
