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जानिए ब्रिटेन में अब क्यों जानबूझकर लोगों को किया जाएगा कोरोना संक्रमित

एक तरफ दुनिया में लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगा रहे हैं और सोशल डिस्टेंशिंग का पालन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ब्रिटेन में कुछ लोगों को कोरोना संक्रमित करने की तैयारी चल रही है। कोविड-19...

जानिए ब्रिटेन में अब क्यों जानबूझकर लोगों को किया जाएगा कोरोना संक्रमित
ब्लूमबर्ग,लंदनTue, 13 Oct 2020 01:40 PM
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एक तरफ दुनिया में लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगा रहे हैं और सोशल डिस्टेंशिंग का पालन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ब्रिटेन में कुछ लोगों को कोरोना संक्रमित करने की तैयारी चल रही है। कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने में मदद के लिए रिसर्चर ऐसा करने जा रहे हैं। इसके लिए हजारों वॉलंटियर्स तैयार हैं।

ह्यूमन चैलेंज ट्रायल हवीवो के पैरेंट ओपन ऑरफन पीएलसी ने कहा है है कि वह कोविड वैक्सीन ट्रायल के लिए ब्रिटेन सहित संभावित ग्राहकों के साथ बातचीत में हैं। इस तरह के अध्ययन से वैक्सीन डिवेलपमेंट में तेजी आ सकती है और वैज्ञानिकों को बीमारी के बारे में ज्यादा अच्छी समझ दे सकते हैं, जिसने दुनियाभर में 3.7 करोड़ लोगों को संक्रमित कर दिया है। लेकिन प्रतिभागियों को उस खतरे में डाला जाएगा जिसका कोई समाधान अब तक नहीं मिला है। वायरस को लेकर अभी तक कई सवाल अनसुलझे हैं। 

वॉलंटियर्स में शामिल उत्तरपूर्व इंग्लैंड के दुरहम यूनिवर्सिटी के कैमेस्ट्री स्टूडेंट एलेक्स ग्रीर ने कहा, ''कोविड-19 के लॉन्ग टर्म के दुष्मपरिणाम को लेकर अभी ज्यादा कुछ पता नहीं है और इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि ट्रायल की संभावित सफलता मुझे होने वाले छोटे से जोखिम से अधिक है।''

कोविड -19 के इलाज में हाल के प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञ इस बात पर असहमत हैं कि चुनौती परीक्षण न्यायसंगत है या नहीं। शिकागो और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के लूरी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की विशेषज्ञ सीमा शाह के मुताबिक एक अनिश्चितता यह है कि क्यों कुछ युवा और स्वस्थ लोग लंबे समय तक हल्के लक्षणों के बाद गंभीर हो जाते हैं।
 
सीमा शाह ने कहा, ''यह वास्तव में एक ऐसी रेखा को पार करना होगा जिसे चुनौतीपूर्ण अध्ययन के लिए नैतिक रूप से स्वीकार्य होने को लेकर खींचा गया है। अतीत में, यह उन बीमारियों के बारे में रहा है जिनके बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं। हम अभी भी कोविड -19 के बारे में बहुत कुछ सीख रहे हैं।''

एस्ट्राजेनका पीएलसी (कोरोना वैक्सीन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पार्टनर) जैसी कंपनियों ने इस साल कहा कि संक्रमण दर में कमी से यह परंपरागत टेस्ट मुश्किल हो सकता है, जिसमें समुदाय में बड़े पैमाने पर लोगों के प्राकृतिक रूप से संक्रमित होने की प्रतीक्षा की जाती है।

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