चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत के साथ कॉर्प्स कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता 21 सितंबर को हुई, जिसमें दोनों देश सीमा मुद्दे पर बातचीत आगे जारी रखने और चर्चा करने पर सहमत हुए। ग्लोबल टाइम्स ने प्रवक्ता वेंग वेनबिन का हवाला दिया, जिन्होंने कहा- भारत और चीन के बीच कल छठे दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हुई, जिसमें आगे की चर्चा जारी रखने पर सहमति से पहले दोनों देशों ने वर्तमान सीमा की स्थिति पर अपनी बातें रखी।
एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में हुई बैठक के दौरान भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के साथ 14 कॉर्प्स चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और संभावित तौर पर उनकी जगह लेने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन शामिल हुए थे। यह बैठक सोमवार की सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई जो रात 11 बजे तक चली थी।
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करीब एक महीने के बाद दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की बैठक हुई। इस बीच, एलएसी पर कम से कम तीन बार फायरिंग की घटनाएं हुईं।
बैठक से पहले भारतीय पक्ष के एजेंडा और मुद्दों के बारे में पिछले हफ्ते शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ जनरल एम.एम. नरवणे के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठक फैसला किया गया। यह वार्ता ऐसे वक्त पर हुई है जब भारत की तरफ से छह और चोटियों पर कब्जा किया गया है, जिससे भारतीय सेना को ऊंचाई पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
भारतीय सेना पिछले कुछ वक्त में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के निकट टकराव वाले क्षेत्रों के आसपास 20 ऊंची पहाड़ियों पर अपना कब्जा जमा चुकी है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। चीन और भारत के बीच सोमवार को कोर कमांडर स्तर की छठवें दौर की वार्ता के पहले भारत की इस सामरिक बढ़त को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था। भारत ने बर्फीले मौसम के बीच चुशूल के इलाके में भी पिछले कुछ दिनों से अपनी मौजूदगी बढ़ाई है, ताकि अपना प्रभुत्व कायम रखा जा सके।
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सूत्रों का कहना है कि सेना ने लद्दाख के सभी अग्रिम मोर्चों और संवेदनशील ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान सैनिकों की मौजूदा संख्या और हथियार बनाए रखने के लिए आवश्यक इंतजाम कर लिए हैं। सर्दियों में यहां तापमान शून्य से 25 डिग्री तक नीचे चला जाता है। भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर सामरिक बढ़त वाली पहाड़ियों पर नियंत्रण के साथ फिंगर 2 और फिंगर 3 इलाके में सैन्य तैनाती और मजबूत की है। जबकि चीन ने फिंगर 4 से फिंगर 8 के बीच के इलाके पर नियंत्रण कर रखा है।