Hindi Newsविदेश न्यूज़Beijing Games: Concerns over use of artificial snow

बीजिंग खेल: कृत्रिम बर्फ के इस्तेमाल पर चिंताएं

बीजिंग में होने वाले ओलंपिक खेल लगभग पूरी तरह से कृत्रिम बर्फ पर निर्भर होंगे. जानकारों का कहना है कि पानी की कमी वाले इलाके में बड़े पैमाने पर ऊर्जा और संसाधनों को लगा कर कृत्रिम बर्फ बनाना...

डॉयचे वेले दिल्लीThu, 30 Dec 2021 10:30 AM
share Share

बीजिंग में होने वाले ओलंपिक खेल लगभग पूरी तरह से कृत्रिम बर्फ पर निर्भर होंगे. जानकारों का कहना है कि पानी की कमी वाले इलाके में बड़े पैमाने पर ऊर्जा और संसाधनों को लगा कर कृत्रिम बर्फ बनाना गैर-जिम्मेदाराना है.बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेल जहां होने हैं वहां चमकदार पीले रंग की टरबाइनें कृत्रिम बर्फ फेंक रही हैं. खेलों के आयोजन के लिए यह बर्फ बहुत जरूरी है. 1980 में न्यू यॉर्क के लेक प्लेसिड में हुए शीतकालीन ओलंपिक खेलों के बाद से कृत्रिम बर्फ का इस्तेमाल अलग अलग मात्रा में लगातार होता रहा है.लेकिन फरवरी में होने वाले बीजिंग खेल लगभग पूरी तरह से कृत्रिम बर्फ पर निर्भर होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि वो चीन के सबसे ज्यादा सूखे हिस्सों में से एक में हो रहे हैं.

खेलों के आयोजन में बस पांच सप्ताह बचे हैं और आयोजक जल्दी जल्दी पगडंडियों पर उच्च गुणवत्ता वाली बर्फ की परतें चढ़ा रहे हैं.पर्यावरण को नुकसानयह एक काफी बड़ा और जटिल काम है. आलोचकों का कहना है कि यह पर्यावरण की दृष्टि से ठीक भी नहीं है. यहां बर्फ बनाने वाली स्वचालित प्रणालियां लगी हुई हैं जो अधिकतम बर्फ बनाने के लिए हवा के तापमान और नमी पर नजर रखती हैं."स्नो गन" नाम की करीब 300 टरबाइनें यहां लगी हुई हैं जो हवा को कंप्रेस की हुई हवा के साथ पानी मिला कर बूंदों को हवा में छोड़ती हैं. यही बूंदें फिर बर्फ बन जाती हैं.

फिर "स्नोकैट्स" कहे जाने वाले ट्रक जैसे वाहनों के इस्तेमाल से इस बर्फ को प्रतियोगिताओं के स्थानों पर फैलाया जाता है.यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हर जगह बर्फ की गहराई, सख्ती और गाढ़ापन एकदम सही मानकों के हिसाब से हो. बीजिंग से करीब 80 किलोमीटर दूर यांशिंग के राष्ट्रीय ऐल्पाइन स्कीइंग केंद्र में माउंटेन ऑपरेशन्स के डिप्टी प्रमुख ली शिन बताते हैं, "हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती बर्फ की एक जैसी गुणवत्ता को बरकरार रखना है"उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में बताया कि बर्फ बनाने की प्रक्रिया में अगर भिन्नता आ जाए तो उससे "बर्फ कुछ जगहों पर काफी सख्त और कुछ दूसरी जगहों पर काफी नर्म हो सकती है, जो कि खिलाड़ियों के लिए खतरनाक हो सकता है"यहां के सफेद पैच यांशिंग के भूरे पहाड़ों के आगे स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं. इन पहाड़ों में बहुत ही कम प्राकृतिक बर्फ गिरती है. वैज्ञानिक पत्रिका साइंस में 2020 में छपे एक अध्ययन में बताया गया था कि उत्तरी चीन में भूजल का खत्म होना एक "गंभीर विषय" है."ग्रीन" खेलों का प्रण गहन सिंचाई, तेज शहरीकरण और एक सूखे मौसम की वजह से यह यहां भूजल का स्तर दुनिया में सबसे कम स्तरों में से है.

शोधकर्ताओं ने कहा है कि इसकी वजह से करोड़ों बीजिंग निवासियों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है भविष्य में इस स्थिति के और खराब ही होने की संभावना है.खेलों के आयोजकों का कहना है कि बर्फ बनाने वाली मशीनें अक्षय ऊर्जा से चलती हैं और वो पहाड़ों के इकोसिस्टम को नुकसान नहीं पहुचाएंगी.इसके अलावा मशीनें जिस पानी का इस्तेमाल करती हैं वो बसंत में बर्फ के पिघलने पर स्थानीय जलाशयों में चला जाएगा. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम बर्फ पर निर्भरता से बीजिंग के "ग्रीन" खेलों के प्रण कमजोर होता है.फ्रांस के स्ट्रैबोर्ग विश्वविद्यालय में भूगोल की प्रोफेसर कारमेन द जोंग कहती हैं कि ऊर्जा और संसाधनों को बड़ी मात्रा में इस्तेमाल करके पानी की कमी वाले इस इलाके में बर्फ बनाना गैर-जिम्मेदाराना है. उन्होंने कहा, "ऐसे तो हम ओलम्पिक खेलों की आयोजन चांद पर या मंगल पर भी कर सकते थे"सीके/एए (एएफपी).

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें