खराब से भी खराब हुई पाकिस्तान की हालत, नेपाली मुद्रा से भी नीचे पाक रुपया
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये के भाव में लगातार गिरावट के कारण यह दक्षिण एशिया की अहम मुद्राओं के मुकाबले सबसे कमजोर स्थिति में पहुंच गया है। एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान के...
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये के भाव में लगातार गिरावट के कारण यह दक्षिण एशिया की अहम मुद्राओं के मुकाबले सबसे कमजोर स्थिति में पहुंच गया है। एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक खुले बाजार में एक डॉलर का मूल्य 151 पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गया है। जबकि एक डॉलर के मुकाबले मौटे तौर पर अफगानिस्तान की मुद्रा का मूल्य 80, भारतीय रुपये का मूल्य 70, बांग्लादेशी टके का 84, नेपाली रुपये का 112 के आसपास है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी रुपये में अकेले मई महीने के दौरान 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। जबकि इस दौरान अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल की मुद्राएं स्थिर बनी हुई हैं। पाकिस्तान की दयनीय स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार सिमटकर केवल 8.846 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है। आर्थिक संकट इस हद तक बढ़ गया है कि लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने में भी पाकिस्तान को आर्थिक मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है।
भारतीय रुपये का आधा हुआ
भारतीय रुपया अब पाकिस्तानी रुपये से दोगुना मूल्यवान हो गया है। शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 70 पर था जबकि पाकिस्तानी रुपया 150 के पार चला गया। इसके कारण पाकिस्तान में जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं।
प्रमुख दक्षिण एशियाई देशों की मुद्राएं
देश मुद्रा एक डॉलर सापेक्ष भाव
पाकिस्तान रुपया 151
भारत रुपया 70.23
अफगानिस्तान रुपया 79.5
नेपाल रुपया 112
भूटान गुलत्रुम 70.19
बांग्लादेश टका 84.5
मालदीव रूफिया 15.37
श्रीलंका रुपया 176.18
क्या है वजह
पाकिस्तान की मुद्रा का भाव गिरने के कई कारण हैं। लेकिन जब से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से बेलआउट को लेकर समझौता वार्ता शुरू हुई है, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में तेज गिरावट दर्ज की गई है। मुद्रा विशेषज्ञ और कारोबारियों का मानना है कि यह मुद्रा अवमूल्यन आईएमएफ से मिलने वाले छह अरब डॉलर के पैकेज की शर्त का ही एक हिस्सा है। माना जा रहा है कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को सख्त हिदायत दी है कि वह अपनी मुद्रा को नियंत्रित करने की बजाय बाजार की ताकतों पर छोड़ दे। इसके अलावा चालू खाते के बढ़ते घाटे समेत मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी से भी पाक की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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