जर्मन सियासी संकटः एंजेला मर्केल की गठबंधन पर नहीं बनी बात, हो सकते हैं चुनाव
जर्मनी में नई गठबंधन सरकार के गठन को लेकर जारी बातचीत रविवार को विफल हो गई। इससे देश में सियासी संकट गहरा गया है और एक बार फिर समयपूर्व चुनाव होने की आशंका बढ़ गई है। चांसलर एंजेला मर्केल की...
जर्मनी में नई गठबंधन सरकार के गठन को लेकर जारी बातचीत रविवार को विफल हो गई। इससे देश में सियासी संकट गहरा गया है और एक बार फिर समयपूर्व चुनाव होने की आशंका बढ़ गई है।
चांसलर एंजेला मर्केल की कंजर्वेटिव यूनियन पार्टी की अन्य दो पार्टियों से बातचीत बेनतीजा रही। उनमें खासकर आव्रजन और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर मतभेद दूर नहीं हो सका। ऐसे में देश को इस मुश्किल से बाहर निकालने का सारा दारोमदार एक बार फिर मर्केल पर आ गया है।
पिछले कुछ हफ्तों से जर्मनी में अस्थायी सरकार है। जबकि किसी दूसरे संभावित गठबंधन की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। ऐसे में जर्मनी एक बार फिर समयपूर्व चुनाव का सामना करने के लिए मजबूर हो सकता है। इसमें भी इसी साल सितंबर में हुए चुनाव की तरह किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने का जोखिम है।
शरणार्थी नीति की फांस
मर्केल की उदारवादी शरणार्थी नीति बड़ा विभाजक साबित हुई, जिसकी वजह से वर्ष 2015 से 10 लाख से ज्यादा शरणार्थी जर्मनी आ गए। इससे नाराज कई मतदाताओं ने अति दक्षिणपंथी और आव्रजन विरोधी एएफडी का दामन थाम लिया। इस साल सितंबर में हुए चुनाव में मर्केल के पार्टी गठबंधन सीडीयू-सीएसयू को सबसे अधिक 33 फीसदी वोट हासिल करने के बावजूद स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। यह बीते सात दशक में सबसे बुरा नतीजा था। पिछले चुनाव में इसे लगभग 40 फीसदी वोट मिले थे। इसके बाद ही मर्केल को असमान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
विश्वास का आधार नहीं
एक माह चली लंबी बातचीत के बाद फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) के नेता क्रिश्चियन लिंडनेर ने कहा, मर्केल के सीडीयू-सीएसयू और पारिस्थितिकी समर्थक ग्रींस के कंजर्वेटिव गठबंधन के साथ सरकार बनाने के लिए विश्वास का कोई आधार नहीं है। लिंडनेर ने कहा, खराब तरीके से शासन करने से बेहतर है कि शासन नहीं किया जाए। ‘डेर स्पीगल’ अखबार ने बातचीत टूटने को मर्केल के लिए तबाही करार दिया। अखबार ने कहा, अशांत पश्चिम में स्थायित्व के द्वीप के तौर पर देखे जाने वाले जर्मनी का अब ब्रेक्सिट काल है, ट्रंप काल है।
अल्पमत सरकार का विकल्प
एफडीपी के फैसले पर खेद जताते हुए मर्केल ने जर्मनी को इस संकट से उबारने का भरोसा दिया। उन्होंने बताया कि वह प्रेसीडेंट फ्रैंक वाल्टर स्टेनमियर से मिलकर उन्हें बातचीत के विफल होने की जानकारी देंगी। स्टेनमियर अपने अधिकारों के तहत मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर सकते हैं। मर्केल ने कहा, चांसलर के रूप में मैं देश को इस मुश्किल वक्त से बाहर निकालने के लिए हरसंभव कोशिश करूंगी। उनके इस बयान के बाद माना जा रहा है कि समयपूर्व चुनाव टालने के लिए मर्केल ग्रींस पार्टी के साथ अल्पमत सरकार भी बना सकती है। वैसे ग्रींस ने इस बारे में अभी कोई बयान नहीं दिया है।