अफगान छोड़कर कहां चले गए अमरुल्ला सालेह और मसूद? चल गया पता; पंजशीर के लड़ाके भी हुए पस्त
अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से तालिबान के खिलाफ पंजशीर घाटी का प्रतिरोध अब कुंद पड़ गया है। पंजशीर में तालिबान के कब्जे के बाद अब रेसिस्टेंस फोर्स के लड़ाके भी सरेंडर कर...
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अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से तालिबान के खिलाफ पंजशीर घाटी का प्रतिरोध अब कुंद पड़ गया है। पंजशीर में तालिबान के कब्जे के बाद अब रेसिस्टेंस फोर्स के लड़ाके भी सरेंडर कर चुके हैं। अफगान छोड़ने वाले अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद आखिर कहां, अब इसका पता चल गया है। सूत्रों की मानें तो अमरुल्लाह सालेह तजाकिस्तान में हैं तो मसूद यूरोपीय देश फ्रांस में हो सकते हैं।
ताजिक राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा कि युद्धविराम की घोषणा करके और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए सड़कों को खोलकर पंजशीर प्रांत में संघर्ष और तनाव का तेजी से उन्मूलन आज सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसकी वजह से ही सालेह को ताजिकिस्तान में रहने दिया गया है। ताजिक राष्ट्रपति ने यह भी आशा व्यक्त की थी कि अफगानिस्तान में सभी राजनीतिक और जातीय समूहों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही सालेह के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह को तालिबान ने पंजशीर घाटी में तलाशी अभियान के दौरान पकड़ लिया था और मार डाला था। सूत्रों ने कहा कि नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) के प्रमुख सदस्यों का मैदान से हटना यह दर्शाता है कि पंजशीर लड़ाकों के लिए कोई अन्य देश बेस प्रदान करने के लिए अनिच्छुक है। ताजिक आबादी वाले कुछ पड़ोसी जिलों को छोड़कर नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट भी घाटी की सीमाओं के बाहर अपने प्रतिरोध का विस्तार करने में सफल नहीं हो सका है।
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सिर्फ पंजशीर ही ऐसा प्रांत था जहां तालिबान का नियंत्रण नहीं था। हालांकि, इसी महीने की शुरुआत में तालिबान ने दावा किया कि अब पंजशीर भी पूरी तरह उसके कब्जे में हैं। पंजशीर को पूर्व अफगान गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद का गढ़ माना जाता है, जहां उनकी तैयार की गई विद्रोही सेना तालिबान से लगातार लोहा ले रही है। पंजशीर को बचाने में अहमद मसूद को अमरुल्लाह सालेह का साथ मिल रहा था।