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कोरोना टीके से ऊब रहे अमेरिकी, वैक्सीनेशन सेंटर पर छाया सन्नाटा; सिर्फ 40% ने ली बूस्टर डोज

ओमीक्रोन जैसे बहुत तेजी से फैलने वाले वेरिएंट से लड़ने के लिए अमेरिकी सरकार ने बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया, मगर आम अमेरिकी तीसरी डोज लगवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यहां टीकाकरण केंद्रों पर...

कोरोना टीके से ऊब रहे अमेरिकी, वैक्सीनेशन सेंटर पर छाया सन्नाटा; सिर्फ 40% ने ली बूस्टर डोज
हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Thu, 27 Jan 2022 05:45 AM

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ओमीक्रोन जैसे बहुत तेजी से फैलने वाले वेरिएंट से लड़ने के लिए अमेरिकी सरकार ने बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया, मगर आम अमेरिकी तीसरी डोज लगवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यहां टीकाकरण केंद्रों पर उतनी भीड़ नहीं है, जिनती होने की सरकार को उम्मीद थी। केंद्रीय स्वास्थ्य एजेंसी के हालिया आंकड़े के मुताबिक, अब तक मात्र 40 फीसदी लोगों ने ही तीसरी डोज ली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिकी अब टीकाकरण की प्रक्रिया को लेकर ऊबने लगे हैं और यह व्यवहार आने वाले समय में चिंता का सबब बन सकता है।
रोजाना टीकाकरण घटकर आधा हुआ

अमेरिका की स्वास्थ्य एजेंसी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के मुताबिक, दिसंबर की शुरूआत में हर दिन देश में 10 लाख बूस्टर डोज लगायी जा रही थी जो कि अब घटकर 4,90,000 डोज प्रतिदिन रह गई है। अमेरिका में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोग बूस्टर डोज लगवा सकते हैं।

बूस्टर को अहम नहीं मान रहे अमेरिकी
बूस्टर डोज की अहमियत के बारे में हुई एक ताजा रायशुमारी (पोल) से पता लगा कि आम अमेरिकी टीके की शुरुआती दो डोज को ज्यादा अहम मान रहे हैं और उनकी नजर में बूस्टर की फिलहाल इतनी ज्यादा अहमियत नहीं है। यह रायशुमारी अमेरिका की समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस और एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च ने मिलकर की है। पोल से पता लगा कि 59 फीसदी अमेरिकी टीके की शुरुआती दो डोज को अहम मानते हैं मगर बूस्टर को अहम मानने वालों की तादाद सिर्फ 47 फीसदी है।

13 माह से जारी टीकाकरण की गति मंद
येल विश्वविद्यालय के वैक्सीन नीति विशेषज्ञ जेसन श्वार्ट्ज का कहना है कि हालिया आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में बूस्टर डोज के टीकाकरण के लिए किए गए प्रयास कमतर हैं। इतना ही नहीं, पूरे टीकाकरण अभियान की बात करें तो 13 महीने से चल रहे अभियान में अभी अमेरिका की 21 करोड़ यानी 63 फीसदी आबादी को ही दोनों डोज लग पायी हैं। सरकार ने टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए इसकी आंशिक अनिवार्यता से जुड़े कुछ आदेश भी निकाले थे, मगर उन्हें कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

बूस्टर अब वैकल्पिक नहीं आधारभूत जरूरत
नीति विशेषज्ञ जेसन श्वार्ट्ज का कहना है कि लोगों को यह समझना होगा कि अब बूस्टर डोज लेना कोई वैकल्पिक सुरक्षा उपाय नहीं रह गया है, तमाम वैज्ञानिक तथ्य यह साबित कर चुके हैं कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लोगों को समय-समय पर वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवानी होगी। यह अब संक्रमण से सुरक्षा का मूलभूत हिस्सा बन चुका है।

वैक्सीन अनिवार्यता के खिलाफ जर्मनी में विरोध
जर्मनी में आम नागरिक सड़कों पर उतरकर टीके की अनिवार्यता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते सोमवार को चौबीस घंटों के भीतर पूरे देश में दो हजार से ज्यादा रैलियां की गईं। हाल के दिनों में जर्मनी में ओमीक्रोन वेरिएंट के चलते संक्रमण तेजी से फैला, जिसके बाद सरकार ने टीकाकरण को अनिवार्य बता दिया और सार्वजनिक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए भी टीका जरूरी कर दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस तरह के प्रतिबंध उनकी व्यक्तिगत व नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ हैं। इन विरोध रैलियों में शामिल होने वाले ज्यादातर प्रदर्शनकारी मास्क पहनने के भी खिलाफ हैं और वे इसे दमन का प्रतीक तक कहते हैं।

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