अमेरिका-तालिबान शांति समझौते को लेकर अमेरिकी सांसदों ने रखी मांग
तकरीबन दो दर्जन अमेरिकी सांसदों ने अफगानिस्तान में युद्ध समाप्त करने के लिए शनिवार (29 फरवरी) को दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाले शांति समझौते पर हस्ताक्षर से पहले पारदर्शिता और कुछ...
तकरीबन दो दर्जन अमेरिकी सांसदों ने अफगानिस्तान में युद्ध समाप्त करने के लिए शनिवार (29 फरवरी) को दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाले शांति समझौते पर हस्ताक्षर से पहले पारदर्शिता और कुछ आश्वासन दिए जाने की मांग की है। अमेरिका अफगानिस्तान में पिछले एक सप्ताह में आई हिंसा में कमी की स्थिति बने रहने पर शनिवार को तालिबान के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला है। तालिबान ने भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की योजना की पुष्टि की है।
सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर को गुरुवार (27 फरवरी) को लिखे पत्र में शांति समझौते में अमेरिकी सुरक्षा को प्राथमिकता दिए जाने की अपील की। इस पत्र में पारदर्शिता रखे जाने की अपील की गई है और अमेरिका की सुरक्षा की महत्ता को रेखांकित किया गया है।
इसके अलावा इसमें अमेरिका और तालिबान के बीच हर समझौते को सार्वजनिक करने और कोई अन्य गोपनीय समझौता नहीं किए जाने समेत सुरक्षा संबंधी कुछ संकल्पों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। सांसदों ने यह भी मांग की है कि तालिबान के साथ खुफिया जानकारियां साझा नहीं की जाए या उसके साथ ''आतंकवाद के खिलाफ कोई संयुक्त केंद्र नहीं खोला जाए।
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सांसदों ने पत्र में कहा है, ''किसी भी समझौते में इस समय अमेरिका के सैनिकों की पूरी तरह वापसी की प्रतिबद्धता शामिल नहीं होनी चाहिए। यह प्रतिबद्धता अमेरिका के शत्रुओं को प्रोत्साहित करेगी और अफगानिस्तान सरकार समेत हमारे सहयोगियों को कमजोर करेगी।" पत्र में यह आश्वासन दिए जाने की भी मांग की गई है कि तालिबान के साथ समझौते के बावजूद अलकायदा से जुड़े हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ प्रतिबंध बरकरार रहेगा।
इसमें कहा गया है कि तालिबान ऐसा आतंकवादी संगठन है जिसने आत्मघाती हमलों को आम बनाया और ''अमेरिकी लोग अपनी सुरक्षा के लिए इन आतंकवादियों पर भरोसा नहीं कर सकते। सांसदों ने कहा कि तालिबान का झूठे आश्वासन देकर छूट लेने का अतीत रहा है।" उन्होंने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कम कुछ स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि वह पूर्ण रूप से ''इस्लामिक अमीरात" स्थापित करना चाहता है। ऐसा बताया जाता है कि इस समय अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 14,000 सैन्य बल हैं।