चीनी 'जासूसी' गुब्बारे को मार गिराना चाहता था अमेरिका, विशेषज्ञ बोले- यह हिंडनबर्ग नहीं है
इस समय भारत में हिंडनबर्ग खासा चर्चित शब्द है। दरअसल अडानी ग्रुप पर हेरफेर का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग फर्म का नाम 'हिंडनबर्ग आपदा' के ऊपर रखा गया है।

अमेरिकी आसमान में उड़ रहे चीन 'जासूसी गुब्बारे' को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी बीजिंग यात्रा स्थगित कर दी है। वहीं चीन का कहना है कि गुब्बारा एक मौसम अनुसंधान उपग्रह (वेदर रिसर्च सेटेलाइट) है जो दिशा भटक गया। अमेरिका ने इसे जासूसी सेटेलाइट बताया है। इस बीच खबर है कि अमेरिका पहले इस गुब्बारे को मार गिराना चाहता था लेकिन अब वह ऐसा नहीं करेगा। अमेरिका ने गुब्बारे को मार गिराने के लिए सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया है। एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि गुब्बारे को शूट करना मुश्किल है। वाशिंगटन में मैराथन इनिशिएटिव थिंक टैंक में जासूसी गुब्बारों के विशेषज्ञ विलियम किम ने कहा कि इस बात की पूरी "संभावना" हो सकती है कि इस चीनी गुब्बारे का उद्देश्य अमेरिकी सीमाओं के बाहर से डेटा इकट्ठा करना हो।
अब तक क्या हुआ?
पेंटागन ने कहा कि बड़ी संख्या में पेलोड से लैस तीन बसों जितना बड़ा चीनी गुब्बारा संभवत: अगले कुछ दिनों तक अमेरिकी आसमान में रहेगा और इसमें व्यापक निगरानी करने की क्षमता है। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने शुक्रवार रात कहा कि चीन का एक और निगरानी गुब्बारा लातिन अमेरिका के ऊपर से गुजर रहा है। पेंटागन के प्रेस सचिव ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा, “हमें एक और गुब्बारे के लातिन अमेरिका के ऊपर से गुजरने की खबरें मिल रही हैं। हमारा आकलन है कि यह एक और चीनी निगरानी गुब्बारा है। इस समय हमारे पास देने के लिए कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं है।”
अनुसंधान से संबंधित है गुब्बारा, दिशा भटक गया: चीन
चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि जिस गुब्बारे पर अमेरिका को निगरानी करने का संदेह है, वह असैन्य उद्देश्य वाला है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से मौसम संबंधी अनुसंधान के लिए किया जाता है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हवा के चलते गुब्बारे की परिचालन क्षमता सीमित है और यह "अपने नियोजित मार्ग से बहुत दूर भटक गया है।" इसने कहा कि चीन अमेरिकी हवाई क्षेत्र में अपने गुब्बारे के अनायास प्रवेश पर खेद व्यक्त करता है।
अमेरिका ने चीन के दावे को किया खारिज
पेंटागन ने शुक्रवार को कहा कि एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मध्य अमेरिका के ऊपर देखा गया है। अमेरिका ने चीन के इस दावे को खारिज कर दिया कि इसका उपयोग निगरानी के लिए नहीं किया जा रहा है। चीन ने दावा किया था कि गुब्बारे का उपयोग मुख्य रूप से मौसम संबंधी अनुसंधान के लिए किया जा रहा है। पेंटागन के प्रेस सचिव ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने इस संबंध में और विवरण देने से इनकार कर दिया कि गुब्बारा वास्तव में कहां है तथा इसे नीचे गिराने पर कोई विचार किया जा रहा है या नहीं। अमेरिकी सेना ने गुब्बारे को मार गिराने के विकल्प को खारिज किया था। राइडर ने कहा कि यह लगभग 60,000 फुट की ऊंचाई पर है और फिलहाल इससे कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल एक गुब्बारा देखा गया है।
अमेरिका गुब्बारे को मार क्यों नहीं रहा?
एसोसिएटेड प्रेस ने वरिष्ठ प्रशासन अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन शुरू में गुब्बारे को मार गिराना चाहते थे, लेकिन शीर्ष रक्षा अधिकारियों ने जमीन पर लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए ऐसा कदम न उठाने की सलाह दी। अधिकारियों ने कहा कि गुब्बारा बहुत बड़ा और बेहद उंचाई पर है कि इसे मार गिराने से संभावित मलबा मीलों तक फैल सकता है। इस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा कि यहां गिरेगा।
क्या है 86 साल पुराना हिंडनबर्ग डिजास्टर?
जासूसी गुब्बारों के विशेषज्ञ विलियम किम ने कहा कि इस गुब्बारे को मार गिराना अच्छा कदम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि "ये गुब्बारे हीलियम का इस्तेमाल करते हैं। यह कोई हिंडनबर्ग नहीं है। आप इसे शूट नहीं कर सकते हैं क्योंकि इससे भारी लपटें निकलेंगी जो केवल हवा में ही नहीं रहेंगी।" उन्होंने हिंडनबर्ग का हवाला दिया। हिंडनबर्ग 6 मई, 1937 को हुई एक एयरशिप दुर्घटना थी। इस एयरशिप ने हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल किया था। जिससे जलने पर इसकी लपटें लगभग 90 सेकंड के भीतर खत्म हो गईं। हीलियम के साथ ऐसा नहीं है।
कहां से आया हिंडनबर्ग शब्द?
इस समय भारत में हिंडनबर्ग खासा चर्चित शब्द है। दरअसल अडानी ग्रुप पर हेरफेर का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग फर्म का नाम 'हिंडनबर्ग आपदा' के ऊपर ही रखा गया है। कंपनी का नाम उसी हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी। एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे।
हिंडनबर्ग आपदा एक हवाई पोत दुर्घटना थी जो 6 मई, 1937 को मैनचेस्टर टाउनशिप, न्यू जर्सी (अमेरिका) में हुई थी। इसका नाम फील्ड मार्शल पॉल वॉन हिंडनबर्ग के नाम पर रखा गया था, जो 1925 से 1934 में अपनी मृत्यु तक जर्मनी के राष्ट्रपति थे। इसमें आग लग गई थी और 90 सेकेंडे के भीतर इसकी लपटें शांत हो गई थीं। इस दुर्घटना में बोर्ड पर सवार 97 लोगों (36 यात्रियों और 61 चालक दल) में से 35 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 13 यात्री और 22 चालक दल, और जमीन पर एक अतिरिक्त मौत हुई थी।